मुख्य सचिव ने हल्द्वानी दंगे की न्यायिक जांच कुमाऊं के मौजूदा आयुक्त दीपक रावत से ही कराने का फैसला किया है। इससे एक बात को साफ हो रही है कि हल्द्वानी दंगे में पहली नजर में ही दिख रही प्रशासनिक विफलता के बाद भी सरकार किसी अफसर को हटाने के मूड में नहीं है।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की ओर से जारी एक आदेश में कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत को हल्द्वानी दंगे की न्यायिक जांच सौंप दी है। मुख्य सचिव ने कहा है कि घटना का पूरी जांच 15 दिन के अंदर शासन को उपलब्ध कराई जाए। सीएस ने आयुक्त से यह भी कहा है कि मामले में उनका व्यक्तिगत ध्यान अपेक्षित है।
इस आदेश से लग रहा है कि सरकार इस दंगे के मद्देनजर किसी भी अफसर का ट्रांसफऱ करने के मूड में नहीं है। मीडिया में आ रही खबरों से साफ दिख रहा है कि इस मामले में प्रशासनिक विफलता का भी बड़ा रोल रहा है। अतिक्रमण हटाने से पहले कोई कारगर रणनीति नहीं बनाई गई। खुफिया तंत्र लगातार आगाह करता है कि कोई एक्शन लेने से पहले वनफूल पुरा क्षेत्र का ड्रोन कैमरे से सर्वे करा लिया जाए। लेकिन इस पर कोई काम नहीं किया गया।
यह सर्वविदित है कि वनफूलपुरा इलाका पहले से ही बेहद संवेदनशील है। इसके बाद भी प्रशासनिक तंत्र ने कोई रणनीति नहीं बनाई और जेसीबी लेकर चल दिए अतिक्रमण हटाने। जबकि दूसरी ओर से पूरी तैयारियां कर ली गईं थी। मकानों पर छतों पर ईंटें और पत्थर पहले से ही जमा कर लिए गए थे। पेट्रोल बम तैयार करने का इंतजाम कर लिया गया था। नतीजा यह रहा है कि गलियों में पुलिस और प्रशासनिक अमले को घेरकर हमला किया गया। दंगाई आगजनी करते रहे और पुलिस बल बचता भागता रहा।