अर्जेंटीना से संबंध रखने वाले पोप फ्रांसिस का सोमवार को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने लगभग 12 वर्षों तक रोमन कैथोलिक चर्च का नेतृत्व किया। वेटिकन के आधिकारिक टीवी चैनल पर कार्डिनल केविन फैरेल ने यह घोषणा करते हुए कहा, “प्रिय भाइयों और बहनों, गहरे दुख के साथ सूचित करता हूं कि हमारे पवित्र पिता फ्रांसिस अब इस दुनिया में नहीं रहे। आज सुबह 7:35 बजे पोप परमपिता के पास लौट गए।”
पोप फ्रांसिस के निधन के साथ ही अब नए पोप के चयन की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। यह प्रक्रिया चर्च के सबसे वरिष्ठ अधिकारियों कार्डिनल्स द्वारा संचालित की जाती है। इस प्रक्रिया में पोप के निधन या इस्तीफे के बाद दुनिया भर के कार्डिनल्स को वेटिकन बुलाया जाता है, जहां वे "कॉनक्लेव" नामक एक विशेष बैठक में भाग लेते हैं। आमतौर पर यह प्रक्रिया पोप के निधन के 15 से 20 दिनों बाद शुरू होती है। ताकि शोक अवधि पूरी हो सके और सभी कार्डिनल्स रोम पहुंच सकें।
यह चुनाव वेटिकन के ऐतिहासिक सिस्टीन चैपल में होता है और पूरी प्रक्रिया अत्यंत गोपनीय रहती है। कार्डिनल्स को बाहरी दुनिया से पूरी तरह अलग रखा जाता है। उन्हें गोपनीयता की शपथ दिलाई जाती है और मोबाइल फोन, रेडियो, टेलीविजन, अख़बार जैसी सभी सुविधाओं से वंचित किया जाता है। यहां तक कि हाउसकीपिंग और सुरक्षा स्टाफ को भी गोपनीयता बनाए रखने की आजीवन शपथ दिलाई जाती है। केवल किसी चिकित्सा आपातकाल में ही बाहरी संपर्क की अनुमति होती है।
मतदान की प्रक्रिया गुप्त बैलेट के ज़रिए होती है। हर कार्डिनल एक पर्ची पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार का नाम लिखता है। जिस पर लैटिन में "Eligo in Summum Pontificem" ("मैं सर्वोच्च धर्मगुरु के रूप में चयन करता हूं") लिखा होता है। इसके बाद सभी वोट गिने जाते हैं और किसी भी उम्मीदवार को चुने जाने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
हर वोटिंग राउंड के बाद सभी बैलेट्स को जला दिया जाता है। यदि कोई उम्मीदवार जरूरी बहुमत नहीं प्राप्त करता, तो सिस्टीन चैपल की चिमनी से काला धुआं निकलता है। जिससे दुनिया को संकेत मिलता है कि मतदान जारी है। जब किसी उम्मीदवार को जरूरी समर्थन मिल जाता है। तब वरिष्ठ कार्डिनल उससे पूछते हैं कि क्या वह पोप बनने के लिए तैयार है। सहमति मिलने पर उम्मीदवार को एक पोप नाम चुनने के लिए कहा जाता है और सेंट पीटर बेसिलिका की बालकनी में जाने से पहले पोप की पोशाक पहनायी जाती है।
इसके बाद अंतिम बैलेट को खास रसायनों के साथ जलाया जाता है जिससे सफेद धुआं निकलता है। यह संकेत होता है कि नया पोप चुन लिया गया है। इसके बाद सेंट पीटर्स बैसिलिका की बालकनी से वरिष्ठ कार्डिनल डीकन दुनिया के सामनें यह घोषणा करते हैं: “Habemus Papam” — जिसका अर्थ है “हमें नया पोप मिल गया है।”
अब दुनिया भर की निगाहें वेटिकन पर टिकी हैं। जहां अगले कुछ दिनों में कॉन्क्लेव आयोजित किया जाएगा और कैथोलिक समुदाय को उनका नया आध्यात्मिक मार्गदर्शक मिलेगा।