पूर्व अलगाववादी नेता बिलाल गनी लोन ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को अप्रासंगिक बताते हुए कश्मीरियों से भारत को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्वीकार करने और इसमें अपनी जगह बनाने की अपील की है। बिलाल, जो हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के संस्थापक अब्दुल गनी लोन के बेटे हैं, ने कहा कि हुर्रियत अब "निष्क्रिय" हो चुकी है और कश्मीर के मुद्दों को सुलझाने में नाकाम रही है। उन्होंने पाकिस्तान पर भी कश्मीर में अशांति फैलाने का आरोप लगाया। यह बयान 19 जुलाई 2025 को दिया गया, जो उनके मुख्यधारा की राजनीति में जाने के फैसले को दर्शाता है।
बिलाल ने नई पीढ़ी से हिंसा छोड़कर शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देने को कहा। उन्होंने कहा, "हमें भारत को एक ताकतवर देश के रूप में देखना होगा और इसमें अपनी जगह बनानी होगी।" उन्होंने हिंसा को कश्मीरियों के लिए विनाशकारी बताया और सह-अस्तित्व पर जोर दिया। बिलाल ने अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए कहा था कि आतंकी कश्मीरियों का प्रतिनिधित्व नहीं करते। उन्होंने आतंकियों को "न तो हमारे दूत, न पैगंबर" बताया और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
बिलाल का यह बदलाव 2022 में शुरू हुआ, जब उन्होंने हुर्रियत छोड़कर मुख्यधारा की राजनीति में आने का फैसला किया। वे 2004 में हुर्रियत के उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, जिसने उप-प्रधानमंत्री एल.के. आडवाणी से मुलाकात की थी। उनके भाई सज्जाद लोन पहले ही मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं और पीपल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं। बिलाल का कहना है कि कश्मीरियों ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को स्वीकार कर लिया है और अब वे चरमपंथी विचारों का समर्थन नहीं करते।
उन्होंने कश्मीरी पंडितों की वापसी और हिंदू-मुस्लिम एकता पर भी जोर दिया, ताकि कश्मीर में शांति और विकास हो सके। बिलाल का यह कदम कश्मीर की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है, क्योंकि हुर्रियत का प्रभाव कम हो रहा है और कई पूर्व अलगाववादी अब मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने कश्मीरियों से अपील की कि वे सम्मान के साथ जीने का हक मांगें और हिंसा फैलाने वालों को सजा देने की मांग करें।