अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा पाकिस्तान को दी गई 2.3 अरब डॉलर की आर्थिक मदद ने भारत-पाकिस्तान तनाव को नया आयाम दिया है। 9 मई को आईएमएफ बोर्ड की बैठक में भारत ने इस बेलआउट पैकेज का कड़ा विरोध किया, लेकिन भारत के वोट से हटने (अब्स्टेन) के बावजूद पैकेज को मंजूरी मिल गई। यह राशि का उद्देश्य पाकिस्तान की कर्ज से जूझती अर्थव्यवस्था को संबल प्रदान करना था। लेकिन अब उसके सैन्य रुख को और आक्रामक बनाने में योगदान दे रही है। सोशल मीडिया पर यह चर्चा जोरों पर है कि IMF की इस वित्तीय सहायता ने पाकिस्तान को बैंक में अरबों रुपए और आसमान में मिसाइलें देने का काम किया है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से संकट में है, जिसमें 130 अरब डॉलर का बाह्य ऋण और केवल 15 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार शामिल है। IMF का 7 अरब डॉलर का विस्तारित कोष सुविधा कार्यक्रम और नवीनतम 1 अरब डॉलर की किश्त पाकिस्तान को आर्थिक संकट से उबारने के लिए थी। हालांकि, भारत ने चेतावनी दी कि ये धनराशि आतंकवाद और सैन्य गतिविधियों में उपयोग हो सकती है, जैसा कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद संदेह बढ़ा। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने आईएमएफ से गहराई से विचार करने का आग्रह किया था।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई यूजर्स ने दावा किया कि बेलआउट के तुरंत बाद पाकिस्तान ने भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले तेज कर दिए। एक पोस्ट में कहा गया, आईएमएफ के 8500 करोड़ ने पाकिस्तान को युद्ध के लिए नई हिम्मत दी। भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, लेकिन पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाइयों ने क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा दिया।
विश्लेषकों का मानना है कि यह आर्थिक सहायता पाकिस्तान को सैन्य आक्रामकता के लिए संसाधन प्रदान कर रही है, जिससे उसका युद्ध रुख और सख्त हुआ है।भारत ने आईएमएफ की प्रक्रियाओं में सुधार और आतंकवाद को वित्तीय सहायता से रोकने की मांग की है। इस बीच पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियां और आईएमएफ की भूमिका क्षेत्रीय स्थिरता पर सवाल उठा रही हैं।