Advertisement

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव: सरकार ने शुरू की विपक्ष के साथ सहमति बनाने की प्रक्रिया

केंद्र सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद के आगामी मानसून सत्र में...
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव: सरकार ने शुरू की विपक्ष के साथ सहमति बनाने की प्रक्रिया

केंद्र सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद के आगामी मानसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों के साथ सहमति बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम जस्टिस वर्मा के दिल्ली में आधिकारिक आवास पर मार्च में आग लगने की घटना के बाद भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने के आरोपों के बाद उठाया गया है, जिसकी जांच सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय समिति ने की और उनके खिलाफ गंभीर आरोपों की पुष्टि की।

रिजिजू ने कहा कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के इस मामले को "राजनीतिक चश्मे" से नहीं देखा जा सकता। उन्होंने सभी दलों से इस प्रस्ताव को संयुक्त रूप से समर्थन देने की अपील की है। सूत्रों के अनुसार, रिजिजू ने मंगलवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश सहित प्रमुख विपक्षी नेताओं से बात की है। कांग्रेस ने संकेत दिया है कि वह इस कदम का विरोध नहीं करेगी। सरकार छोटे दलों से भी संपर्क कर रही है ताकि यह प्रस्ताव, जिसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है, आसानी से पारित हो सके।

यह विवाद तब शुरू हुआ जब 14 मार्च 2025 को जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर आग लगी, और आपातकालीन सेवाओं ने वहां से जली हुई नकदी के ढेर बरामद किए। सुप्रीम कोर्ट की समिति, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधवालिया, और कर्नाटक हाईकोर्ट की जज अनु शिवरामन शामिल थीं, ने इस मामले में गंभीर अनियमितताएं पाईं। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा से इस्तीफा देने को कहा, लेकिन उनके इनकार के बाद खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जांच रिपोर्ट और वर्मा की प्रतिक्रिया भेजकर महाभियोग की सिफारिश की।

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस कदम का स्वागत किया है, इसे न्यायपालिका में विश्वास बहाल करने वाला कदम बताया। यदि यह प्रस्ताव पारित होता है, तो यह भारत में किसी हाईकोर्ट जज के खिलाफ पहला सफल महाभियोग होगा।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad