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वैक्सीन की किल्लत जल्द होगी दूर, केंद्र का दावा- दिसंबर तक मिलेगी 216 करोड़ डोज

कोविड महामारी के प्रकोप के बीच देश कोरोना वायरस के टीकों की कमी से जूझ रहा है। इस बीच केंद्र ने गुरुवार...
वैक्सीन की किल्लत जल्द होगी दूर, केंद्र का दावा- दिसंबर तक मिलेगी 216 करोड़ डोज

कोविड महामारी के प्रकोप के बीच देश कोरोना वायरस के टीकों की कमी से जूझ रहा है। इस बीच केंद्र ने गुरुवार को कहा कि अगस्त से दिसंबर के बीच पांच महीनों में देश में दो अरब से अधिक खुराक उपलब्ध होंगी, जो पूरी आबादी के टीकाकरण के लिए पर्याप्त होंगी।

नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने यह भी कहा कि रूस का कोविड-19 रोधी टीका स्पुतनिक V अगले सप्ताह तक उपलब्ध होने की संभावना है। लिहाजा जब घरेलू आपूर्ति भारी मांग को पूरा नहीं कर पा रही है, दिल्ली, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना सहित कई राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने कोरोना वायरस रोधी टीके की खरीद के लिए वैश्विक निविदाओं का विकल्प चुनने का निर्णय किया है।

टीके की कमी स्वीकार करते हुए पॉल ने कहा कि टीके महत्वपूर्ण हैं ‘‘मगर उनके उत्पादन और उन्हें उपलब्ध कराने में समय लगता है। हम ऐसे चरण से गुजर रहे जब आपूर्ति सीमित है।’’ उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय की एक ब्रीफिंग में कहा, ‘‘इसीलिए हमने प्राथमिकता तय की। इसीलिए (जब) भारत सरकार द्वारा नि: शुल्क टीके दिए गए, मुख्य ध्यान जोखिम वाले आयु समूहों पर था। हमें यह ध्यान रखना होगा।’’

हालांकि, अधिकारी ने कहा कि साल के आखिर तक देश की पूरी जनसंख्या के टीकाकरण के लिए देश में टीके की पर्याप्त खुराक होगी। पॉल ने कहा, ‘‘भारत और देश के लोगों के लिए देश में पांच महीनों में दो अरब से ज्यादा खुराक बनाई जाएंगी। टीका सभी के लिए उपलब्ध होगा।’’ उन्होंने कहा कि अगले साल की पहली तिमाही तक यह संख्या तीन अरब होने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि अगस्त से दिसम्बर तक टीके की 216 करोड़ खुराक का उत्पादन होने का अनुमान है जिसमें से कोविशील्ड की 75 करोड़ खुराक जबकि कोवैक्सीन की 55 करोड़ खुराक शामिल होगी। इसके अलावा, बायोलॉजिकल ई द्वारा 30 करोड़ खुराक, ज़ायडस कैडिला 5 करोड़, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा नोवावैक्स की 20 करोड़ खुराक और भारत बायोटेक द्वारा उसकी नेजल वैक्सीन की 10 करोड़ खुराकें जबकि जेनोवा 6 करोड़ खुराक और स्पुतनिक V 15.6 करोड़ खुराक उपलब्ध कराएगी। बायोलॉजिकल ई, जायडस कैडिला, जेनोवा, भारत बायोटेक द्वारा उसकी नेजल वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के विभिन्न चरणों में हैं।

फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन से टीकों की खरीद पर पॉल ने कहा कि सरकार जैव प्रौद्योगिकी विभाग और विदेश मंत्रालय के माध्यम से इन कंपनियों के साथ संपर्क में है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने औपचारिक रूप से पूछा कि क्या वे भारत में खुराक भेजना चाहेंगे, भारत में निर्माण करेंगे, हम साझेदार खोजेंगे। उन्होंने कहा कि वे तिमाही 3 में टीके की उपलब्धता के बारे में बात करेंगे। हमने मॉडर्ना, फाइजर और जे एंड जे के साथ इस प्रक्रिया को तेज कर दिया है और हमें उम्मीद है कि वे आगे आएंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह उच्चतम स्तर पर हो रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम उन्हें आमंत्रित करते हैं। वे यहां टीके बनायें, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से हमारी कंपनियों के साथ बनायें। नयी रणनीति के तहत, वह जरिया खुला है और हम हर संभव तरीके से समर्थन करेंगे।’’

भारत की तुलना में अन्य देशों में टीकाकरण अभियान पर पॉल ने अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस के उदाहरणों का हवाला दिया जहां पूरी आबादी को अभी तक टीके की एकल खुराक भी नहीं मिली है। सरकार पहले ही कह चुकी है कि भारत दुनिया में सर्वाधिक तेज गति से टीका लगाने वाला राष्ट्र है जिसने 114 दिनों में टीके की 17 करोड़ खुराकें लगाई हैं। पॉल ने केंद्र की टीकाकरण नीति का भी बचाव किया, जिसकी कई राज्यों ने आलोचना की है।

विपक्षी दल शासित कई राज्य उस नीति का विरोध कर रहे हैं जो उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टीके की खरीद करना अनिवार्य बनाती है। विपक्षी राज्यों के मुख्यमंत्री भी सभी के लिए मुफ्त टीके लगाने की मांग कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि कोविड-19 टीके के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में राज्यों को एक दूसरे के साथ ‘‘लड़ने के लिए’’ छोड़ने से भारत की छवि को खराब हो रही है।

इस तरह की आलोचनाओं का जवाब देते हुए पॉल ने कहा, ‘‘राज्य लचीलापन चाहते थे। यह (टीकाकरण नीति) उसी प्रतिक्रिया में है। यह भी मांग थी कि (खुराक की उपलब्धता) निजी क्षेत्र में भी होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘डब्ल्यूएचओ, एफडीए द्वारा अनुमोदित किसी भी टीके को भारत में आयात किया जा सकता है। वे दो दिनों में आयात लाइसेंस प्राप्त कर सकते हैं। कौन उन्हें रोक रहा है?’’ उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा अब तक टीकी की 35.6 करोड़ खुराक या तो खरीदी जा चुकी है या खरीद की प्रक्रिया में है।
उन्होंने कहा कि वहीं अलग से 16 करोड़ अतिरिक्त खुराकें प्रक्रिया में हैं जिन्हें सीधे राज्यों और निजी अस्पतालों द्वारा खरीदा जा रहा है। ‘‘इसलिए, कुल मिलाकर, 51.6 करोड़ खुराकें खरीदी जा रही हैं।’’

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