दिल्ली पुलिस ने 44 डीटीसी और क्लस्टर बसों पर लॉकडाउन के दौरान दिल्ली के कई क्षेत्रों से आनंद विहार आईएसबीटी तक प्रवासी श्रमिकों को ले जाने के आरोप में एफआईआर दर्ज किया है। यह मामला शकरपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक यह केस डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 और अन्य आईपीसी की धाराओं के तहत दर्ज किया गया है।
बता दें, देश में फैल रहे कोरोना वायरस को लेकर केंद्र ने अगले 14 अप्रैल तक लॉकडाउन कर दिया है। ट्रेन, हवाई जहाज सरीखे अन्य यातायात के साधन पूरी तरह से बंद कर दिए गए है। वहीं कुछ जरूरी सुविधाओं ही लोगों तक मुहैय्या हो पा रही है। जिसको लेकर पिछले दिनों प्रवासी श्रमिक हजारों की संख्या में अपने गांव की ओर चलने को मजबूर हो गए।
इन क्षेत्रों से बसे गई
पुलिस अधिकारी के मुताबिक इन बसों के ड्राइवरों ने दिल्ली के बदरपुर, वसंत विहार, हरीनगर, आनंद पर्वत, उत्तम नगर, मंगोलपुरी, मुनिरका और पंजाबी बाग सहित अलग-अलग इलाकों से प्रवासी श्रमिकों को ले जाने का काम किया।दरअसल लॉकडाउन होने की वजह से जो जहां था वहीं थम गया। गांव से शहर को आए मजदूर तपके के लोगों को इससे काफी परेशानी झेलनी पड़ी। पूरी जीविका ठप हो गया। खबरों के मुताबिक इन श्रमिकों को मकान मालिकों ने रेंट न देने पर निकाल दिया, जिसके बाद ये सभी पैदल घर जाने को मजबूर हो गए। इसी को लेकर बीते दिन दिल्ली के अलग-अलग बस स्टैंडों पर बिहार यूपी सहित अन्य राज्यों में जाने वाले श्रमिकों का तांता लग गया।
मंत्रालय ने राज्यों को दिए निर्देश
लॉकडाउन और सामाजिक दूरी का उल्लंघन होता देख केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीते शुक्रवार को राज्य सरकारों से कहा था कि वे प्रवासी कृषि मजदूरों, औद्योगिक श्रमिकों और असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की बड़े पैमाने पर हो रही आवाजाही को रोकने के लिए कदम उठाएं। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए जारी एक एडवाइजरी में गृह मंत्रालय ने कहा था कि उन्हें होटलों, कामकाजी महिला हॉस्टलों को आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि मौजूदा स्थिति में उन्हें पर्याप्त सुविधाएं मिल सके।
21,486 राहत शिविर स्थापित किए गए
इससे पहले बुधवार को गृह मंत्रालय की ज्वाइंट सेक्रेटरी पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राज्य सरकार प्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन और आश्रय की व्यवस्था कर रही है। अब तक 21,486 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं जहाँ 6,75,133 व्यक्तियों को आश्रय दिया गया है।