केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज रात इस बात पर चर्चा की कि उच्च राशि के नोटों पर पाबंदी के बाद सीमा से अधिक बेहिसाब जमा राशि पर किस दर से आयकर लगाया जाए? विश्वस्त सूत्रों का कहना है सरकार इस राशि पर 60 प्रतिशत के करीब आयकर लगाने के लिए कानून में संशोधन पर विचार कर रही है। बैंकों की शून्य खाते वाले जन-धन खातों में 500 और 1,000 रपये के नोटों पर पाबंदी के दो सप्ताह के भीतर 21,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा करने की सूचना के बाद यह कदम उठाया गया है। अधिकारियों को आशंका है कि इन खातों का उपयोग कालेधन को सफेद बनाने में किया गया है।
बैठक में हुई बातचीत के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। संसद सत्र के बीच आनन-फानन में यह बैठक बुलाई गई थी। परंपरागत रूप से संसद सत्र के दौरान नीतिगत निर्णय के बारे में बाहर कोई जानकारी नहीं दी जाती है। सूत्रों ने कहा कि सरकार इस बात को लेकर गंभीर है कि सभी बेहिसाब धन बैंक खातों में जमा हो और उस पर कर लगे। बंद किए गए नोटों को 10 नवंबर से 30 दिसंबर के दौरान बैंक खातों में जमा करने की अनुमति दी गई है।
आठ नवंबर को नोटबंदी के बाद सरकार की तरफ से विभिन्न बयान दिए गए हैं। इससे संदिग्ध जमा पर कर अधिकारियों का भय बढ़ा है। अधिकारियों ने 50 दिन की समयसीमा में निश्चित सीमा से अधिक राशि जमा किए जाने पर 30 प्रतिशत कर के साथ 200 प्रतिशत जुर्माना लगाए जाने की बात कही है। इतना ही नहीं इसके उपर कालाधन रखने वालों के खिलाफ अभियोजन भी चलाया जा सकता है।
सूत्राों ने कहा कि सरकार की संसद के मौजूदा सत्र में आयकर कानून में संशोधन लाने की योजना है ताकि कालाधन पर 45 प्रतिशत से अधिक कर लगाया जा सके। 45 प्रतिशत कर एवं जुर्माना आय घोषणा योजना के तहत घोषित कालेधन पर लगाया गया। यह योजना 30 सितंबर को समाप्त हो गई। जिन लोगों ने योजना का लाभ नहीं उठाया और उनके पास कालधन है तो उनपर करीब 60 प्रतिशत की दर से कर लगाया जा सकता है। विदेशों में कालाधन रखने वालों ने इस दर से पिछले साल कर का भुगतान किया था। सूत्राों ने कहा कि सरकार खासकर जनधन खातों में बेनामी जमा को खत्म करने को लेकर गंभीर है।(एजेंसी)