देश की सात प्रमुख आईआईटी ने कहा है कि वे 2020 में टाइम्स हायर एजुकेशन (टीएचई) वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग का बहिष्कार करेंगी। संस्थानों ने कहा है कि रैंकिंग प्रक्रिया की पारदर्शिता से वे संतुष्ट नहीं हैं। इन संस्थानों में आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी कानपुर, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी मद्रास और आईआईटी रुड़की शामिल हैं। बता दें, टीएचई और क्यूएस (क्वाक्कारेली साइमंड्स) लंदन में स्थित हैंं, जो दुनिया के प्रमुख उच्च-शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग करती हैं।
पारदर्शिता लाने में सक्षम हुए तो करेंगे पुनर्विचार
संस्थानों ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि ये सात आईआईटी इस साल की रैंकिंग में भाग नहीं लेंगी। यदि टाइम्स हायर एजुकेशन उन्हें अपनी रैंकिंग प्रक्रिया में मापदंडों और पारदर्शिता के बारे में समझाने में सक्षम होते हैं तो वे अगले साल अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगे।
टॉप 300 में भारत का कोई विश्वविद्यालय नहीं
टीएचई वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में पिछले साल दुनिया के टॉप 300 विश्वविद्यालयों में कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय नहीं आया था। बेंगलुरु का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस 2012 में टॉप 300 में अपना स्थान बनाने वाला एक मात्र भारतीय विश्वविद्यालय था। लेकिन पिछले साल रैंकिग में इस संस्थान ने 301 से 350 के बीच अपना स्थान हासिल किया था। रैंकिग में गिरावट के मुख्य कारण संस्थान के माहौल, शिक्षण की स्थिति सहित कई अन्य महत्वपूर्ण तथ्य रहे।
13 मापदंडों को ध्यान में रखते हुए होती है रैंकिग
लंदन स्थित टीएचई मैगजीन द्वारा की जाने वाली रैंकिंग में शिक्षण, अनुसंधान, शिक्षा और अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण में एक संस्थान के प्रदर्शन सहित 13 मापदंडों को ध्यान में रखा जाता है। विश्व रैंकिंग में भारतीय संस्थानों के निराशाजनक प्रदर्शन के बारे में रैंकिंग संपादक एली बोथवेल ने पिछले साल कहा था, "भारत में वैश्विक उच्च शिक्षा को लेकर काफी क्षमता है। इसलिए तेजी से बढ़ती युवा आबादी, अर्थव्यवस्था और अंग्रेजी का उपयोग कर इस स्थिति को बेहतर किया जा सकता है। देश के किसी भी उच्च संस्थान का टॉप 300 में शामिल ना हो पाना निराशाजनक है।"
क्यूएस रैंकिंग में तीन भारतीय संस्थान टॉप 200 में
पिछले साल क्यूएस द्वारा की गई रैंकिंग में तीन भारतीय संस्थान आईआईटी- बॉम्बे, आईआईटी-दिल्ली और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु ने टॉप 200 में स्थान पाया था। जिसके बाद एचआरडी मंत्रालय ने क्यूएस के अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक बुलाई थी, जिसमें जेएनयू और हैदराबाद विश्वविद्यालय सहित कई प्रतिष्ठित भारतीय संस्थानों के रैंकिंग में गिरावट के कारणों की जांच की गई थी। बता दें, मंत्रालय एनआईआरएफ के माध्यम से देश के उच्च संस्थानों की सालाना रैंकिंग जारी करता है।