नए कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसान करीब दो महीने से राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। इस बीच केंद्र और किसानों के बीच करीब आठ दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन, ये सभी बैठके बेनतीजा रही है। प्रदर्शन के बीच करीब चालीस से अधिक किसान आत्महत्या और ठंड की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। सोमवार को इन मसलों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र पर कई गंभीर सवाल खड़ा किए और सख्त लहजे में टिप्पणी करते हुए कई सवाल दागे।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबड़े ने सख्त लहजे में मोदी सरकार से पूछा कि वो यदि इन कानूनों पर रोक नहीं लगाना चाहती हैं तो कोर्ट को कदम उठाना पड़ेगा। इस पर जवाब देते हुए केंद्र के वकील और अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि कोर्ट ऐसा नहीं कर सकती है। वेणुगोपाल ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि जब तक किसी कानून से मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होता तब तक उन कानूनों पर रोक नहीं लगाया जा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने पूछा कि आप किस तरह हल निकाल रहे हैं?
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को अपना आदेश जारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को किसान आंदोलन पर सुनवाई करते हुए सख्ती दिखताते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई। इसके साथ ही कोर्ट ने किसानों से पूछा कि क्या वो हमारी बनाई हुई कमेटी के पास जाएंगे। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने अब सरकार और पक्षकारों से कुछ नाम देने को कहा है। ताकि कमेटी में उन्हें शामिल किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि हमारे लिए लोगों का हित जरूरी है, अब कमेटी ही बताएगी कि कानून लोगों के हित में है या नहीं।