जम्मू-कश्मीर में पहलगाम हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि, 1960 को स्थगित रखने सहित कई जवाबी उपायों की घोषणा की। उसके फौरन बाद पाकिस्तान ने व्यापार संबंधों को निलंबित कर दिया और वीजा रद्द कर दिया। इस्लामाबाद ने घोषणा की कि वह भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को स्थगित कर देगा, जिसमें 1972 का शिमला समझौता भी शामिल है। शिमला समझौता पड़ोसी देशों के बीच बुनियादी कूटनीतिक समझौता माना जाता है। 1947 से दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान से लेकर सुरक्षा तक के कई समझौते और संधियों पर एक नजर:
1947-1949
आजादी के शुरुआती वर्षों में, भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद, दोनों देशों के बीच राजस्व, हवाई सेवाओं, बैंकिंग और व्यापार से संबंधित कई समझौते हुए।
1950 - नेहरू-लियाकत समझौता
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान के बीच यह समझौता दोनों देशों में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर केंद्रित था। इस समझौते के तहत, आवाजाही की स्वतंत्रता, रोजगार और अल्पसंख्यक आयोगों की स्थापना पर निर्णय लिया गया।
1951-1959
नेहरू-लियाकत समझौते के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार, रेल यातायात और राष्ट्रों के बीच लंबित वित्तीय मुद्दों के संबंध में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। इसके साथ ही, दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच हुए कई समझौते सिंधु नदी के विवाद पर केंद्रित थे।
1955 से 1960
भारत और पाकिस्तान ने सिंधु नदी के पानी के उपयोग के संबंध में तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
1960 - सिंधु जल संधि
वर्षों के समझौतों और विवादों के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी के साझा उपयोग के संबंध में एक संधि पर दस्तखत हुए। विश्व बैंक की मध्यस्थता में इस संधि पर एम. नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इस संधि से पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब जैसी पश्चिमी बहाव वाली नदियों पर अधिकार मिला, जबकि भारत का रावी, ब्यास और सतलुज जैसी पूर्वी नदियों पर नियंत्रण कायम रहा।
स्थिति: पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है।
1972 - शिमला समझौता
1971 के युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तानी राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने दस्तखत किए थे। इस समझौते में भारत और पाकिस्तान के बीच विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की बात की गई है। इसके अलावा, कश्मीर में युद्ध विराम रेखा को नियंत्रण रेखा के रूप में स्थापित किया गया था, जैसा कि हम आज जानते हैं। बांग्लादेश की मुक्ति और गठन के बाद हुए इस समझौते में यह भी कहा गया था कि कश्मीर जैसे मुद्दों को द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम जरिए हल किया जाएगा।
स्थिति: भारत के सिंधु जल संधि को स्थगित करने के बाद, पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई में शिमला समझौते को निलंबित कर दिया।
1974 - धार्मिक स्थलों का प्रोटोकॉल
इस समझौते में, भारत और पाकिस्तान ने सीमा पार धार्मिक स्थलों पर तीर्थयात्रियों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए एक प्रोटोकॉल स्थापित किया। इस संधि में पाकिस्तान में 15 और भारत में पांच स्थलों का उल्लेख है, जैसे पाकिस्तान में ननकाना साहिब, पंजा साहिब और शादानी दरबार; और भारत में अजमेर शरीफ और निजामुद्दीन दरगाह। इसके आधार पर, कुछ त्यौहारों के लिए 3,000 तक सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान जाने की अनुमति है।
स्थिति: संबंधों के डाउनग्रेड होने के बाद, पाकिस्तान ने भारतीय नागरिकों के वीजा निलंबित करने की घोषणा की, लेकिन सिख तीर्थयात्रियों को छूट दी।
1998 - परमाणु ठिकानों पर हमला न करना
इस समझौते पर 31 दिसंबर, 1998 को हस्ताक्षर किए गए थे और इसमें दोनों देशों को एक-दूसरे को परमाणु प्रतिष्ठानों के बारे में जानकारी देने की बात की गई है। इसके अलावा, समझौते में परमाणु ठिकानों पर हमला न करने का भी आह्वान किया गया है।
स्थिति: यह समझौता अभी भी लागू है, और हर साल 1 जनवरी को वार्षिक आदान-प्रदान होता है।
1991 - हवाई क्षेत्र का उल्लंघन
नई दिल्ली में हस्ताक्षरित इस समझौते में दोनों देशों के लिए हवाई क्षेत्र के उल्लंघन से बचने के नियम तय किए गए। इसके तहत, दोनों देशों के सैन्य विमानों को सीमा के 10 किलोमीटर के भीतर उड़ान भरने से मना किया गया।
स्थिति: हवाई क्षेत्र और समुद्री सीमा में अनधिकृत प्रवेश की अनुमति नहीं है।
1992 - राजनयिक कर्मियों के साथ व्यवहार
अगस्त 1992 में, भारत और पाकिस्तान ने सीमा पार राजनयिक, वाणिज्य दूतावास कर्मियों के साथ व्यवहार के संबंध में एक आचार संहिता पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन और विएना कन्वेंशन के आधार पर राजनयिकों को दी जाने वाली छूट, सुविधाओं और विशेषाधिकारों पर केंद्रित है।
स्थिति: यथावत, हालांकि पहलगाम हमले के बाद दोनों देशों में उच्चायोग और वाणिज्य दूतावासों में कर्मियों की संख्या घटा दी है
1999 - लाहौर घोषणा
लाहौर घोषणा 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच हथियारों की होड़ की पृष्ठभूमि में आई थी। इस पर प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हस्ताक्षर किए। इसके तहत ऐलान किया गया कि दोनों देशों क्षेत्र में शांति और सुरक्षा की दिशा में काम करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
लाहौर घोषणापत्र में कहा गया है, ‘‘भारत गणराज्य और इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों ने अपने देशों के बीच शांति और स्थिरता तथा अपने लोगों की प्रगति और समृद्धि के नजरिए को साझा किया और यह विश्वास व्यक्त किया कि स्थायी शांति और सामंजस्यपूर्ण संबंधों और दोस्ताना सहयोग से दोनों देशों के लोगों के महत्वपूर्ण हितों की पूर्ति होगी।’’
लाहौर समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता का एक साझा नजरिया बनाना था। इस समझौते के साथ, इस्लामाबाद और नई दिल्ली दोनों ने दोनों पड़ोसियों के बीच सभी मुद्दों -खासकर जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को हल करने की कोशिशों को तेज करने पर भी सहमति व्यक्त की।
इस समझौते में कश्मीर से लेकर आतंकवाद और परमाणु हथियारों के संचालन तक के मुद्दों को शामिल किया गया था।
स्थिति: इस घोषणा के कुछ महीनों बाद कारगिल युद्ध छिड़ गया। कश्मीरी आतंकवादियों के वेश में पाकिस्तानी फौज ने नियंत्रण रेखा पार की और जम्मू-कश्मीर के करगिल में 'ऑपरेशन बद्र' के तहत भारतीय सेना की चौकियों पर कब्जा कर लिया। यह घुसपैठ लाहौर समझौते का स्पष्ट उल्लंघन था। इसे नवाज शरीफ ने 2023 में पाकिस्तान के आम चुनावों के बाद स्वीकार भी किया था।
2003 - नियंत्रण रेखा पर युद्ध विराम
नवंबर 2003 में, भारत और पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष रोकने पर सहमति व्यक्त की।
स्थिति: हालांकि तनाव के कई बड़े मौके इस बीच हुए, लेकिन 2021 में भी दोनों देशों ने युद्ध विराम के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की। उसके बाद भी इसके उल्लंघन करने के कई मामले सामने आए, जिसमें पहलगाम हमले के कुछ दिनों बाद किया गया उल्लंघन भी शामिल है।
2005 - बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षणों की पूर्व सूचना
भारत और पाकिस्तान के बीच यह समझौता लाहौर घोषणापत्र में जुड़ता है। इसके तहत, दोनों देशों को किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण से तीन दिन पहले एक-दूसरे को सूचित करना होगा।
स्थिति: यह समझौता गलत व्याख्या या उकसावे को रोकने के लिए दोनों देशों के सुरक्षा क्षेत्र भी दर्ज किए गए हैं।
2007 - परमाणु दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करना
इस समझौते में, भारत और पाकिस्तान ने किसी भी परमाणु दुर्घटना के बारे में एक-दूसरे को सूचित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई, ताकि जोखिम को कम किया जा सके और ऐसी घटना की किसी भी गलत व्याख्या को रोका जा सके।
स्थिति: इस समझौते को 2012 और 2017 में भी बढ़ाया गया है।
2011- 2012
2011 और 2012 में, भारत और पाकिस्तान ने सांस्कृतिक सहयोग, मादक पदार्थों की तस्करी पर नियंत्रण और सीमा शुल्क मामलों पर केंद्रित कई समझौतों और समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
स्थिति: यथावत
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