सूचना के अधिकार कानून के तहत मिली जानकारी के अनुसार, आईआईटी बम्बई में आकाश परियोजना 31 मार्च 2015 को बंद हो गई है। इस बारे में सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया। आईआईटी बम्बई को भविष्य की योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आकाश परियोजना पर 47.72 करोड़ रूपये मंजूर किये गए थे और इसे लक्ष्यों को हासिल करने में खर्च किया गया।
आकाश परियोजना के बारे में तमाम शिकायत आती रही है कि देश में छात्राों को सस्ते टैबलेट की योजना सार्थक रूप नहीं ले सकी है। आकाश टैबलेट में कई खामियां भी बताई गई थीं। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, इस परियोजना के तहत एक लाख टैबलेट खरीदने का लक्ष्य हासिल किया गया। सभी टैबलेट डाटाविंड कंपनी से खरीदे गए।
आईआईटी बम्बई ने बताया कि आकाश परियोजना के तहत टैबलेट के नमूनों की जांच प्रयोगशाला में की गई है। इसके अंतर्गत देशभर में 300 आकाश केंद्र स्थापित हुए जो मुख्य रूप से इंजीनियरिंग कालेज हैं। ये टैबलेट कालेजों और कुछ स्कूलों के शिक्षकों एवं स्कूलों में वितरित किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रारंभ में इस परियोजना का दायित्व आईआईटी राजस्थान को सौंपा गया था। लेकिन वर्ष 2013 में आईआईटी राजस्थान ने इसे मानव संसाधन विकास मंत्राालय को वापस लौटा दिया था। इसके बाद आईआईटी बम्बई को आकाश परियोजना की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस टैबलेट की जांच के कार्य में सीडेक ने भी हिस्सा लिया।
कुछ समय पहले आईटी विभाग के सचिव ने सूचना प्रौद्योगिकी से संबद्ध स्थायी समिति को बताया था कि यदि विशेषताओं पर निर्णय करने के बाद विनिर्माताओं को उत्पाद की आपूर्ति करने को कहते तब यह बेहतर व्यवस्था हो सकती थी। आकाश टैबलेट के विषय को कई दलों के सदस्य संसद में भी प्रश्नों के माध्यम से उठा चुके हैं।