रक्षा सूत्रों ने कहा कि आज के सफल परीक्षण से सबसे शक्तिशाली भारतीय मिसाइल के प्रायोगिक परीक्षण और अंतिम तौर पर इसे स्पेशल फोर्सेस कमांड (एसएफसी) में शामिल करने का रास्ता साफ हो गया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के सूत्रों ने बताया कि तीन चरणों वाले और सतह से सतह तक मार करने में सक्षम मिसाइल का एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) के लांच कांप्लेक्स-चार से सुबह के 11 बजकर पांच मिनट पर मोबाइल प्रक्षेपण यान के जरिये परीक्षण किया गया।
डीआरडीओ ने कहा कि करीब 17 मीटर लंबे और 50 टन वजन वाले इस मिसाइल ने अपने सभी लक्ष्यों को भेदने में सफलता प्राप्त की। यह इस मिसाइल के विकास से जुड़ा चौथा और कैनिस्टर स्तर का दूसरा परीक्षण था। इससे पहले 19 अप्रैल, 2012 को इसका पहला, 15 सितंबर, 2013 को दूसरा और 31 जनवरी, 2015 को तीसरा परीक्षण किया गया।
सूत्रों ने बताया कि अग्नि श्रृंखला का यह सबसे आधुनिक मिसाइल है, जिसमें नेविगेशन, गाइडेंस, वारहेड और इंजन से जुड़ी नई तकनीकों को शामिल किया गया है। इस दौरान स्वदेश में निर्मित कई नई प्रौद्योगिकी का भी सफल परीक्षण किया गया। बहुत सटीक रिंग लेजर गायरो आधारित इनरशियल नेविगेशन सिस्टम (आरआईएनएस) और सबसे आधुनिक एवं सटीक माइक्रो नेविगेशन सिस्टम (एमआईएनएस) ने कुछ मीटर की सटीकता से लक्ष्य भेदन को सुनिश्चित किया।
डीआरडीओ के एक अधिकारी ने बताया कि बहुत तेज गति से चलने वाले कंप्यूटर और चूक का पता लगाने वाले सॉफ्टवेयर एवं मजबूत और विश्वसनीय बस ने मिसाइल का मार्गदर्शन किया। (एजेंसी)