चार घंटे तक चली बैठक के दौरान कुछ विपक्षी दलों ने सरकार से कहा कि वह घाटी के कुछ हिस्सों से अफ्सपा हटाने और पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने जैसे विश्वास बहाली उपाय तत्काल करे। गत आठ जुलाई को हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से कश्मीर में अशांति बनी हुई है। कश्मीर के हालात पर विचार के लिए बुलाई गई इस महत्वपूर्ण बैठक में यह सुझाव भी दिया गया कि हालात का जायजा लेने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कश्मीर का दौरा करे, लेकिन सरकार ने विपक्षी पार्टियों की मांगों पर कोई वादा नहीं किया।
मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि केन्द्र सरकार संविधान के बुनियादी सिद्धांतों के आधार पर स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान के लिए वचनबद्ध हैं, लेकिन साथ ही स्पष्ट किया, हम सभी इस राष्ट्रीय भावना से बंधे हैं कि देश की क्षेत्रीय अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं हो सकता।
प्रधानमंत्री ने कहा, हम संविधान के अंतर्गत सभी वर्गों की शिकायतें दूर करने को तैयार हैं। एक सप्ताह से भी कम समय में यह दूसरा मौका है जब मोदी ने राज्य की जनता की बात की है और वहां के सभी पक्षों के साथ बात करने की इच्छा जताई है।उन्होंने इस मौके पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान में मानव अधिकारों के उल्लंघन के लिए पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया और कहा कि वहां होने वाले अत्याचारों के लिए उसे अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को जवाब देना होगा। भाषा एजेंसी