इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से कोविड-19 के नए ओमिक्रोन वेरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच चुनावी राज्यों में होने वाली राजनीतिक रैलियों को रोकने का आग्रह किया। न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव की खंडपीठ ने एक मामले में एक याचिकाकर्ता की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए कहा कि ओमिक्रोन से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है और तीसरी लहर आने की आशंका है।
अदालत ने कहा कि चीन, नीदरलैंड और जर्मनी जैसे देशों ने बढ़ते मामलों के कारण पूर्ण या आंशिक तालाबंदी की है। अदालत ने कहा कि दूसरी लहर के दौरान, देश में लाखों लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हुए और कई लोगों की मौत हो गई।
उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में ग्राम पंचायत चुनावों ने भी संक्रमण में वृद्धि में योगदान दिया, जिससे कोविड -19 के कारण कई मौतें हुईं।
हाईकोर्ट ने देखा कि जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, सभी राजनीतिक दल रैलियां और बैठकें कर लाखों लोगों को लामबंद कर रहे हैं, जहां किसी भी तरह से सोशल डिस्टेंसिंग सहित कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना संभव नहीं है। लिहाजा अदालत ने चेतावनी दी कि अगर इसे समय रहते रोका नहीं गया तो इसके परिणाम महामारी की दूसरी लहर से भी ज्यादा भयावह हो सकते हैं।
अदालत ने भारत के चुनाव आयोग से ऐसी रैलियों और सभाओं को तुरंत रोकने और राजनीतिक दलों को टीवी चैनलों और समाचार पत्रों के माध्यम से प्रचार करने का आदेश देने का अनुरोध किया।
कोर्ट ने कहा, अगर संभव हो तो अगले साल फरवरी में होने वाले चुनावों को एक दो महीने के लिए टाला जा सकता है क्योंकि अगर जान है तो ही चुनावी रैलियां और बैठकें हो सकती हैं और जीने का अधिकार भी है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिया गया है।
कोविड -19 टीकाकरण अभियान के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए, अदालत ने उनसे रैलियों, सभाओं को रोकने और आगामी राज्य चुनावों को स्थगित करने पर विचार करने का अनुरोध किया, महामारी की स्थिति को देखते हुए कड़े कदम उठाए।
कोर्ट ने संजय यादव नाम के शख्स की जमानत याचिका को मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की।