भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ती पर जमी बर्फ अब फिर से पिघलनी शुरू हो गई हैं। पाकिस्तान इससे एक कदम आगे बढ़ते हुए भारत के साथ फिर से ट्रेड शुरू करने की बात कही है। इस बात का फैसला पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान की अगुवाई वाली कैबिनेट ने ली है। गौरतलब है कि पाकिस्तान के सुर पिछले कई दिनों से भारत को लेकर बदलते दिखाई दे रहे हैं। सीमा पर तनाव कम करने को लेकर हुई डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) की बातचीत के अलावा दोनों देशों के बीच रिश्ते को लेकर पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा ने भी पिछले दिनों बयान दिया था। साथ ही सिंधु जल विवाद सुलझाने के लिए भी दोनों देशों के बीच वार्ता हो रही है।
लंबे अरसे बाद फिर व्यापार शुरू
पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' के मुताबिक पाकिस्तान भारत से 0.5 मिलियन टन शुगर का आयात करेगा। माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार को लेकर व्यापार के जरिए ये पहली शुरूआत है। वहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि पाकिस्तान ने अपने घरेलू प्राइवेट सेक्टर को अनुमति दे दी है कि वो भारत से सफेद शुगर और कॉटन का आयात करें।
पीएम मोदी ने भी रिश्तों में गर्माहट लाते हुए बीते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को पत्र लिख कर पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस की बधाई दी और दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध की उम्मीद भी जताई थी। जिसके जवाब में खान ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखा है। लिखे पत्र में इमरान खान ने फिर से कश्मीर राग अलापा है। खान ने लिखा है कि स्थिरता के लिए कश्मीर मुद्दों समेत अन्य चीजों का हल जरूरी है।
दरअसल, दोनों देश के बीच बीते कुछ महीनों से रिश्तों में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। इसमें महत्वपूर्ण भूमिका मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) निभा रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक बीते महीने 26 फरवरी की बैठक में संयुक्त अरब अमीरात की आधिकारिक रिपोर्ट में विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद ने भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के साथ बातचीत में कुछ संकेत दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने "सामान्य हित के सभी क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की और विचारों को साझा किया।"
जम्मू-कश्मीर से केंद्र द्वारा बीते साल 2019 की पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राज्य का दर्ज खत्म किए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार बंद है। इस पर पाकिस्तान की तरफ से गहरी नाराजगी जाहिर की गई थी। उससे पहले पुलवामा हमले होने के बाद दोनों देशों के बीच गहरी तनाव की स्थिति बनी थी जिस आतंकी हमले 40 से अधिक सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद केंद्र की अगुवआई में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक किया था। हालांकि, पाकिस्तान भारत के इस दावे से लगातार इनकार करता रहा है लेकिन बीते दिनों इसकी पोल पाकिस्तान के संसद में खुली थी।
यूएई क्यों करा रहा है दोस्ती?
रिपोर्ट मुताबिक यूएई की नजर भारत-पाक के अगले कदम पर है। ये भी कहा गया है कि, “इस प्रक्रिया के अगले चरण में नई दिल्ली और इस्लामाबाद में राजदूतों के बहाल करने वाले कदम का भी प्रस्ताव रखा गया है।“ लेकिन, सवाल उठता है कि क्या भारत और पाकिस्तान, दोनों इस प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे। यूएई अपने हार्ड पावर और सॉफ्ट पॉवर, दोनों के लिए जाना जाता है। यूएई का भारत और पाकिस्तान के साथ व्यापारिक और राजनयिक संबंध रहा है। वह एशिया में राजनीतिक और वैश्विक व्यापार में संबंध बनाने में लगा हुआ हैं। यूएई के लिए ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि, 80 प्रतिशत से अधिक आबादी विदेशी श्रमिक हैं। जिसमें से एक बड़ी तादाद भारत और पाकिस्तान के लोगों की है। अगर इन दोनों देशों में शांति होती है, तो उसका सीधा फायदा यूएई को मिलेगा। साथ ही, यूएई एक ओर बढ़ते कट्टरवाद के खिलाफ खुद की रक्षा करने में लगा हुआ है वहीं, अपनी सेनाओं को आधुनिक बनाने के लिए काफी खर्च किया है। ऐसे में उसे अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए एशिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में से एक भारत और पाकिस्तान के बाजार की बेहद जरूरत है। और शांति होने पर ही निवेश करना फायदेमंद सौदा होगा।