सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों को समुचित सुरक्षा दिलाए जाने की मांग के संबंध में दाखिल याचिका पर मंगलवार को कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने इस मामले को छुट्टी के बाद एक उपयुक्त बेंच के सामने सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने जनहित याचिका दाखिल कर सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अस्पतालों में सरकारी सुरक्षाकर्मी तैनात करने की मांग की है। साथ ही डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश तय करने की भी मांग की है।
कोर्ट ने फिलहाल कोई आदेश पास करने से इंकार करते हुए कहा कि वो डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए ऐसे ही आदेश पास नहीं कर सकता। पुलिस कर्मियों की संख्या को ध्यान में रखते हुए पूरी स्थिति को समझकर ही कोई आदेश पास किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा, 'हम कानून व्यवस्था की कीमत पर डॉक्टरों की सुरक्षा का फैसला नहीं ले सकते।'
‘हम डॉक्टरों की सुरक्षा के खिलाफ नहीं’
जस्टिस दीपक गुप्ता और सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि वह (केंद्र को) नोटिस जारी नहीं करेगी, लेकिन डॉक्टरों की सुरक्षा का बड़ा मुद्दा खुला रख रही है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी एक याचिका दायर की, जिसमें पहले से दायर याचिका में अदालत के हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा गया कि देश भर के डॉक्टरों को सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा कि डॉक्टरों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। पीठ ने कहा, "हम अन्य नागरिकों की कीमत पर डॉक्टरों की सुरक्षा नहीं कर सकते। हमें बड़ी तस्वीर देखनी होगी। हम डॉक्टरों को दी गई सुरक्षा के खिलाफ नहीं हैं।"
सीएम ममता से मुलाकात के बाद हड़ताल खत्म
गौरतलब है कि सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल खत्म हो गई। डॉक्टरों के संयुक्त मोर्चा के एक प्रवक्ता ने संवाददाताओं से कहा था कि डॉक्टर काम पर लौटेंगे, क्योंकि वह राज्य सरकार को वादे लागू करने के लिए कुछ समय देना चाहते हैं। नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में शासकीय निकाय की बैठक के बाद उन्होंने कहा था, 'मुख्यमंत्री के साथ हमारी मुलाकात और चर्चा सफल रही। हर चीज पर विचार करते हुए हमें उम्मीद है कि सरकार चर्चा के मुताबिक मुद्दे का समाधान करेगी।'