राष्ट्रीय जांच एजेन्सी के मामलों की विशेष अदालत के न्यायाधीश दिनेश गुप्ता ने अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में 11 अक्टूबर 2007 को आहता ए नूर पेड़ के पास हुए बम विस्फोट मामले में देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को दोषी करार दिया है।
बचाव पक्ष के वकील जगदीश एस राणा ने संवाददाताओं को बताया कि अदालत ने स्वामी असीमानंद समेत सात लोगों को सन्देह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। दोषी पाये गये अभियुक्तों में से सुनील जोशी की मृत्यु हो चुकी है। अदालत देवेन्द्र गुप्ता और भावेश पटेल को आगामी 16 मार्च को सजा सुनायेगी।
उन्होंने बताया कि अदालत ने स्वामी असीमानंद, हर्षद सोलंकी, मुकेश वासाणी, लोकेश शर्मा, मेहुल कुमार, भरत भाई को सन्देह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
उन्होंने बताया कि न्यायालय ने देवेन्द्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 195 और धारा 295 के अलावा विस्फोटक सामग्री कानून की धारा 3:4 और गैर कानूनी गतिविधियों का दोषी पाया है।
राणा ने कहा कि न्यायिक हिरासत में चल रहे आठ आरोपी :स्वामी असीमानंद, हर्षद सोलंकी मुकेश वासाणी, लोकेश शर्मा, भावेश पटेल, मेहुल कुमार, भरत भाई, देवेन्द्र गुप्ता: और जमानत पर चल रहे चन्द्रशेखर फैसला सुनने के लिए अदालत में मौजूद थे।
अदालत ने इस मामले की अन्तिम बहस गत छह फरवरी को सुनने के बाद 25 फरवरी को फैसला सुनाने के लिए तिथि तय की थी। लेकिन बाद में अदालत ने आठ मार्च को फैसला सुनाने का निश्चय किया था।
फैसला सुनाये जाने के अवसर पर आज अदालत में कडी सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी क्योंकि वहां पर अभियुक्तों को भी पेश किया जाना था। सभी आठ आरोपियों को कडे़ सुरक्षा प्रबंध के बीच अदालत में पेश किया गया जबकि जमानत पर चल रहा चन्द्रशेखर भी अदालत में हाजिर था।
गौरतलब है कि 11 अक्टूबर 2007 को दरगाह परिसर में हुए बम विस्फोट में तीन जायरीन मारे गये थे और पंद्रह जायरीन घायल हो गये थे। विस्फोट के बाद पुलिस को तलाशी के दौरान एक और लावारिस बैग मिला था जिसमें बम के साथ टाइमर लगा था। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओेर से 149 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गये लेकिन अदालत में गवाही के दौरान चौबीस से अधिक गवाह अपने बयानों से मुकर गये थे।
बचाव पक्ष की ओर से दो गवाह पेश किये गये। इस मामले में आठ आरोपी वर्ष 2010 से न्यायिक हिरासत में है। एक आरोपी रमेश गोविल को जमानत मिलने के बाद मृत्यु हो गयी थी जबकि एक और आरोपी सुनील जोशी की दिसम्बर 2007 में मध्यप्रदेश में हत्या हो गयी थी।
इस मामले में चार आरोपी रमेश वेंकटराव, संदीप डांगे, रामजी कलसांगरा और सुरेश नायर अभी भी फरार हैं।
राज्य सरकार ने मई 2010 में इस मामले की जांच राजस्थान पुलिस की एटीएस शाखा को सौंपी थी। बाद में केंद्र ने इस मामले को एक अप्रैल 2011 को राष्ट्रीय जांच एजेन्सी को सौंप दिया था। भाषा