उन्होंने कहा कि विकास के अपने विचार को वह बिहार तक ले जाने के लिए संकल्पबद्ध है। प्रधानमंत्री ने कवि दिनकर की 1961 में लिखी एक चिट्ठी को उद्धृत करते हुए कहा कि दिनकर जी ने उस समय ही बिहार वासियों से जाति के बंधन तोड़कर सच्चे व्यक्ति का समर्थन करने को कहा था। नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर का कि देश के पूर्वी हिस्से का विकास किए बिना देश का विकास संभव नहीं है। देश के पश्चिमी भाग के पास संपन्नता है जबकि पूर्वी हिस्से के पास विचार है। ऐसे में देश के दोनों हिस्से विकास में बराबर की भागीदारी निभा सकते हैं।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को साहित्य में उनके योगदान को देखते हुए मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग इस समारोह में प्रधानमंत्री के सामने रखी गई। समारोह में सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भारतरत्न के लिए दिनकर के नाम पर विचार करने का आग्रह किया। कार्यक्रम की आयोजन समिति के अध्यक्ष ठाकुर ने कहा दिनकर जी की कविताओं में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की प्रखरता है। विशेष रूप से संस्कृति के चार अध्याय में उन्होंने संपूर्ण भारत के इतिहास को रेखांकित किया है। उन्होंने इसके माध्यम से भारत में सांस्कृतिक चेतना को जगाने का काम किया। परशुराम की प्रतीक्षा से उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भारतीयों की चेतना को जगाने का काम किया। उन्होंने हिंदी के विकास में दिनकर के योगदान की चर्चा करते हुए सरकार से इसे बढ़ावा देने की अपील की।
गीतकार प्रसून जोशी ने समारोह में दिनकर की कुछ कविताओं का पाठ किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज के समय में हिंदी का मान बढ़ाने वाला व्यक्तित्व बताया। उन्होंने संस्कृति के चार अध्याय को हिंदी की बेजोड़ रचना बताते हुए सभ्यता और संस्कृति के संबंध में इस किताब के महत्व को रेखांकित किया। समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिनकर के परिवार के सदस्यों को शॉल भेंटकर उनका सम्मान किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, राधामोहन सिंह और गिरिराज सिंह, भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी समेत बिहार भाजपा के कई वरिष्ठ नेता और साहित्यकार उपस्थित थे।