‘मॉब लिंचिंग’ (भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या) की बढ़ती घटनाओं में हस्तक्षेप करने के लिए साल की शुरूआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाली लगभग 49 जानी-मानी हस्तियों के खिलाफ दर्ज राजद्रोह का मामला बंद करने का पुलिस ने बुधवार को आदेश दिया। वहीं शिकायतकर्ता पर "झूठे" आरोप लगाने के लिए मुकदमा चलाया जाएगा। ‘मॉब लिंचिंग' को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखने को लेकर 49 हस्तियों के खिलाफ मुजफ्फरपुर के एक वकील की शिकायत पर पिछले सप्ताह प्राथमिकी दर्ज किये जाने की विपक्षी नेताओं और कई प्रमुख हस्तियों ने निंदा की थी।
अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जितेंद्र कुमार ने बताया कि मुजफ्फरपुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश के मद्देनजर पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत सदर थाने में मामला दर्ज किया था। उन्होंने कहा कि इस प्रावधान के तहत पुलिस के पास मामला दर्ज करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।
‘शिकायतकर्ता पत्र भी नहीं दिखा सका’
एडीजी हेडक्वार्टर जीतेंद्र कुमार का कहना है कि शिकायतकर्ता, सबूत उपलब्ध करा पाने में असफल रहा है। यहां तक कि वो वह पत्र भी नहीं दिखा सका जिसके आधार पर उसने केस किया था। इसके साथ यह भी पाया गया कि इस याचिका को दायर करने के पीछे उद्देश्य ठीक नहीं थे। उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 182 और 211 के तहत मुकदमा दायर किया जाएगा।
गवाह के रूप में कंगना रनौत, मधुर भंडारकर और विवेक अग्निहोत्री का था जिक्र
स्थानीय अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था। पीएम मोदी को खुला पत्र लिखने की खबरें आने के बाद ओझा ने यहां की एक अदालत में जुलाई में एक याचिका दायर की थी। पत्र पर हस्ताक्षर करनेवालों में फिल्म कलाकार सौमित्र चटर्जी, अर्पणा सेन और रेवती और शास्त्रीय गायिका शुभा मुदगल भी थीं। दिलचस्प है कि याचिकाकर्ता ने गवाह के रूप में बॉलीवुड कलाकार कंगना रनौत, मधुर भंडारकर और विवेक अग्निहोत्री का भी जिक्र किया था। साथ ही यह आरोप लगाया था कि आरोपियों ने देश की छवि को नुकसान पहुंचाया है और प्रधानमंत्री की छवि धूमिल करने का प्रयास किया।
केस दर्ज किए जाने की हुई थी जमकर आलोचना
इस घटनाक्रम को लेकर देश भर में रोष प्रकट किया गया था और यहां तक कि राहुल गांधी जैसे विपक्ष के शीर्ष नेता ने भी आलोचना की थी। वहीं, इतिहासकार रोमिला थापर और अभिनेता नसीरूद्दीन शाह सहित 200 सेलिब्रिटी ने एक अन्य खुला पत्र लिख कर पूछा था कि प्रधानमंत्री को की गयी अपील राजद्रोह कैसे हो सकती है। पिछले सप्ताह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके पूर्व सहयोगी एवं वर्तमान में आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने इस विषय में हस्तक्षेप करने तथा मामला रद्द करने का अनुरोध किया था। इस बीच, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी (भाजपा) या संघ परिवार का राजद्रोह के इस मामले से कोई लेना देना नहीं है।
एजेंसी इनपुट