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ट्रांसजेंडरों को अलग पहचान प्रदान करने के लिए लोकसभा में विधेयक पेश

ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को अलग पहचान प्रदान करने और उनका शोषण करने वालों को दंडित करने की व्यवस्था कायम करने के मकसद से मंगलवार को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण विधेयक पेश किया गया।
ट्रांसजेंडरों को अलग पहचान प्रदान करने के लिए लोकसभा में विधेयक पेश

सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने सदन में उभयलिंगी व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक 2016 पेश किया। यह विधेयक एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति की व्याख्या और उनके खिलाफ भेदभाव को प्रतिबंधित करता है। हालांकि रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन ने विधेयक को पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि राज्यसभा द्वारा पारित इसी प्रकार का एक निजी विधेयक लोकसभा में लंबित है। जिसपर अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने व्यवस्था देते हुए कहा कि दोनों विधेयकों में एक जैसे प्रावधान हो सकते हैं लेकिन जो विधेयक सरकार पेश कर रही है वह अलग है।

विधेयक में प्रत्येक प्रतिष्ठान में एक शिकायत निवारण तंत्र का भी प्रबंध किया गया है ताकि ट्रांसजेंडरों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके साथ ही ट्रांसजेंडरों को बंधुआ मजदूर या भीख मांगने के लिए मजबूर करने के दोषी लोगों को कम से कम छह महीने और अधिकतम दो साल की सजा तथा जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार उन्हें उनके मूलभूत अधिकारों से वंचित करने या उन्हें उनके घरों या गांवों से जबरन निकालने के दोषी पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ भी इसी प्रकार की सजा का प्रावधान है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय के छह लाख लोग हैं।

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