ईलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम को लेकर दाखिल की गई एक जनहित याचिका पर बॉम्बे उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग, केंद्र सरकार, महाराष्ट्र सरकार और ईवीएम निर्माण से जुड़े दो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को नोटिस जारी किया है। ये दोनों उपक्रम ईवीएम बनाने वाले हैं।
समाचार एजेंसी आइएएनएस के अनुसार आरटीआइ एक्टिविस्ट मनोरंजन एस. रॉय द्वारा दायर की गई याचिका एक पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस.एस.केमकर और जस्टिस एस.वी, कोतवाल की पीठ ने ये नोटिस जारी किए। इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड ईवीएम निर्माण से जुड़े हैं।
याचिकाकर्ताओं ने याचिका में दिखाया है कि मुख्य चुनाव आयोग और तमाम राज्य चुनाव आयोगों द्वारा जो ईवीएम और वीपीपैट के लिए दो निर्माणकर्ताओं को जो ऑर्डर दिए गए हैं, उनमें और सप्लाई की गई मशीनों के आंकड़ों में विरोधाभाष हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आरटीआइ से मिली इस जानकारी के मायने हैं कि बैंगलूरु स्थिति बीईएल ने निजी साधनों या पोस्ट के द्वारा अज्ञात लोगों को ईवीएम की डिलीवरी कर दी जो संदेह पैदा करता है।
याचिकाकर्ता ने समाचार एजेंसी आइएएनस को बताया कि आरटीआइ के अनुसार बीईएल ने थोक में 820 बैलट यूनिट्स की डिस्पैच किया और अप्रैल 2017 में दो बार में 245 वीवीपैट निश्चित पते और निश्चित प्राप्तकर्ता को हाथों-हाथ डिलीवर कीं। रॉय के अनुसार दोनों ही बार बीईएल ने यह नहीं बताया कि ये किसको पोस्ट किए गए और क्या ये मशीने जिसने प्राप्त की, उन्हें ‘सुरक्षित’ माना जाए?
जनहित याचिका दायर करने वाले रॉय ने कहना है कि ऐसे समय में जब 2019 चुनाव आने वाले हैं, उस स्थिति में ईवीएम और वीवीपैट संबंधी ये विरोधाभाषी जानकारियां संदेह पैदा करती हैं।
इस मामले की अगली सुनवाई अगले दो हफ्ते के बाद होने की उम्मीद है।