दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच रविवार शाम हुई मुठभेड़ में सेना ने 3 आतंकियों को मार गिराया है। पुलवामा के पिंगलिश गांव में रविवार शाम हुई मुठभेड़ के बाद से ही यहां तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं। इस कार्रवाई में मारे गए आतंकियों के शव बरामद किए गए हैं, जिसके बाद सुरक्षाबल मुठभेड़ स्थल के आसपास सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। मारे गए आतंकियों में पुलवामा हमले में शामिल जैश-ए-मोहम्मद का डिस्ट्रिक्ट कमांडर मुद्दसिर खान भी शामिल है। जबकि अन्य दो आतंकियों की पहचान की जा रही है।
बताया जा रहा है कि सुरक्षाबलों को रविवार शाम पुलवामा के पिंगलिश गांव में आतंकियों के एक दल के छिपे होने की जानकारी मिली थी। इसके बाद सेना के 42 राष्ट्रीय राइफल्स, जम्मू-कश्मीर पुलिस की एसओजी और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों ने यहां आतंकियों की तलाश में बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू किया।
घेराबंदी सख्त होता देख आतंकियों ने इलाके में गोलीबारी कर भागने की कोशिश की, लेकिन सेना ने उनके इस प्रयास को नाकाम करते हुए इन्हें एक मकान में घेरकर काउंटर ऑपरेशन शुरू किया। इस कार्रवाई के बाद यहां तीन आतंकियों को मार गिराया गया है, जिसके बाद से यहां बडे़ स्तर पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। वहीं एहतियात के तौर पर इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवानों की अतिरिक्त तैनाती की गई है। इसके अलावा यहां पर इंटरनेट सेवाओं पर भी रोक लगाई गई है।
कौन है मुद्दसिर अहमद खान?
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पुलवामा हमले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मुद्दसिर अहमद खान ने ही सारी साजिश रची थी। उसे मोहम्मद भाई के नाम से भी जाना जाता है। सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि जुटाए गए सबूतों के आधार पर पता चला है कि 23 साल के इलेक्ट्रिशियन ने ही सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के लिए गाड़ी और विस्फोटक जुटाया था। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।
त्राल के मीर मोहल्ला का निवासी खान 2017 में जैश ए मोहम्मद में 'ओवरग्राउंड वर्कर' के रूप में शामिल हुआ था। बाद में उसे नूर मोहम्मद तांत्रे उर्फ 'नूर त्राली' ने जेईएम में पूरी तरह शामिल कर लिया। समझा जाता है कि तांत्रे ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी संगठन के पुनरुत्थान में मदद की। दिसंबर 2017 में तांत्रे के मारे जाने के बाद खान 14 जनवरी 2018 को अपने घर से लापता हो गया और तब से सक्रिय है। अधिकारियों ने बताया कि आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार लगातार खान के संपर्क में था। डार ने ही 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले से विस्फोटकों से लदे वाहन को टकरा दिया था। स्नातक करने के बाद खान ने आईटीआई से इलेक्ट्रिशन का एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम किया था। उसके पिता मजदूर हैं और वह भाइयों में सबसे बड़ा है।
हमले में हुआ था मारूति वैन का इस्तेमाल
पुलवामा हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी के द्वारा 27 फरवरी को खान के घर पर जांच-पड़ताल की गई। हमले में मारूति इको मिनी वैन का इस्तेमाल किया गया था। इसे जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी सज्जाद भट हमले के 10 दिन पहले ही लाया था। सज्जाद दक्षिण कश्मीर का रहने वाला है।
कई हमलों में था शामिल
समझा जाता है कि खान फरवरी 2018 में सुंजवान में सेना के शिविर पर आतंकवादी हमले में भी शामिल था जिसमें छह जवान शहीद हो गए थे और एक आम नागरिक की भी मौत हो गई थी। लेथपोरा में सीआरपीएफ के शिविर पर जनवरी 2018 में हुए हमले में भी उसकी भूमिका सामने आई जिसमें सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे।