जमियत-उलमा-ए-हिंद के सदर मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सभी मुस्लिम जमातों का फैसला है कि कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का बायकॉट किया जाए। सभी मुस्लिम संगठन इससे इत्तेफाक रखते हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि इसके जरिये जम्हूरियत के नाम पर तानाशाही फैलाने की कोशिश की जा रही है। अमन का नाम लेकर नफरत बोई जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी को उनके मजहब के अनुसार अमल करने की आजादी है। पूरे मुल्क को यह आजादी संविधान ने दी है। यूनिफॉर्म सिविल कोड किसी भी सूरत में कुबूल नहीं किया जाएगा। मौलाना मदनी के अनुसार यह वक्त इस मुद्दे के लिए मुनासिब वक्त भी नहीं था। उन्होंने कहा ‘आज से नहीं बल्कि वर्षों से जमिअत-उलमा-ए-हिंद इसपर काम कर रही है। यूनिफॉर्म सिविल के नाम पर जो करने की कोशिश की जा रही है उसे हम सारे देश को बताएंगे। मुल्क के अंदर फिजा बनाएंगे कि जम्हूरियत के नाम पर तानाशाही थोपी जा रही है।‘
दारूल-उलूम-देवबंद से अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि यह गंगी-जमनी तहजीब की बात भी है। इस देश में सभी लोग अपने-अपने धर्म का पालन करते हैं। और यह मसला सिख, ईसाई, दलित और आदिवासी से भी जुड़ा हुआ है। रस्म-ओ-रिवाज के खत्म होने से भी जुड़ा है।
ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद वली रेहमानी ने कहा कि लॉ कमीश्न ने अपनी वेबसाइट पर यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए जनता से राय मांगी है। राय के लिए उसने इससे सबंधित 16 सवाल रखे हैं। जबकि वे सवाल ही बेबुनियाद हैं। गलत तरीके से रखे गए हैं ताकि यूनिफॉर्म सिविल कोड की राह खुल सके। यह धोखा है। आजादी नहीं है और यह एकतरफा है। वली रहमानी ने यह भी कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड किसी भी प्रकार से मुल्क के लिए मुनासिब नहीं है क्योंकि यहां अलग-अलग रीत रिवाज और धर्मों के लोग रहते हैं। तमाम मुस्लिम संगठनों ने मोदी सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकते हुए स्पष्ट तौर पर कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड की मुखालफत के लिए बाकायदा सिग्नेचर कैंपेन शुरू किया जा चुका है और न केवल भारत के बल्कि पूरी दुनिया के मुसलमान इसपर एक राय रखते हैं। यही नहीं मुस्लिम संगठनों ने तीन तलाक के मुद्दे पर कोई बात नहीं की न ही इससे जुड़े किसी सवालों का जवाब दिया। उन्होंने मुस्लिम समाज में महिलाओं की स्थित पर भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया।