उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) 2016 में सामने आये स्टिंग वीडियो मामले में प्राथमिकी दर्ज करेगा। इस वीडियो में पूर्व सीएम रावत सत्ता में बने रहने हेतु अपने खिलाफ बगावत करने वाले विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिये कथित रूप से सौदेबाजी करते दिखायी दे रहे हैं।
जांच एजेंसी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की अदालत को मंगलवार को सूचित किया कि वह पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ स्टिंग वीडियो मामले में प्राथमिकी दर्ज करेगी। अदालत द्वारा इस मामले में विवरण मांगे जाने के दौरान एजेंसी ने यह सूचना दी।
सीबीआई के अधिवक्ता संदीप टंडन ने मीडिया से कहा, "याचिकाकर्ता (सीबीआई) द्वारा एक आवेदन दिया गया है। हमने अदालत को बताया है कि हम एफआईआर दर्ज करने जा रहे हैं।"
अदालत इस मामले पर 20 सितंबर को सुनवाई करेगी।
रावत ने साजिश करार दिया
हालांकि, रावत ने मामले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इंकार किया था और उनके खिलाफ कार्रवाई को एक "साजिश" करार दिया।
उन्होंने कहा, " कुछ ताकतें हैं जो मुझे नष्ट करना चाहते हैं। लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं नहीं टूटूंगा।"
क्या है मामला?
पिछले महीने, कांग्रेस नेता रावत के खिलाफ सीबीआई ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय में एक जांच रिपोर्ट पेश की थी।
साल 2016 में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के दौरान एक वीडियो सामने आया था जिसमें रावत सत्ता में बने रहने के लिये भाजपा के साथ चले गये असंतुष्ट विधायकों को समर्थन दोबारा हासिल करने के लिये कथित तौर पर धन की सौदेबाजी करते दिखायी दे रहे हैं। मामले में सुनवाई की अगली तारीख 20 सितंबर तय की गयी है।
फ्लोर टेस्ट में रावत की जीत के बाद राज्य मंत्रिमंडल ने मामले में सीबीआई जांच का प्रस्ताव दिया था और मामले में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का निर्णय लिया। लेकिन केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था।