चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज जम्मू ने कहा है कि उन्हें सरकार द्वारा लगाया गया संपत्ति कर स्वीकार्य नहीं है और इसके लिए वो आखरी दम तक इसका विरोध करेंगे। जम्मू के चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष अरूण गुप्ता ने बताया है कि 5 अगस्त 2019 से जम्मू बंद है। जिससे लोग कर का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू लॉकडाउन के दौरान भी बंद था। सरकार को पता होना चाहिए कि इस स्थिति में लोगों ने कैसे अपना जीवन यापन किया होगा। आगे अरूण गुप्ता ने कहा कि सरकार को संपत्ति कर पर फिर से सोचना चाहिए। हम इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं और इसके लिए किसी भी हद तक जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार को इस तरह के कर लगाने से पहले लोगों से बात करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। जम्मू में लोगों की आर्थिक स्थिती सही नहीं है, बहुतों के पास बच्चों के स्कूलों में देने के लिए फीस भी नहीं है। दूसरी जगह तो सरकार करों को कम कर रही है। बता दें, 12 फरवरी 2021 को, जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने पूरे राज्य में अपने-अपने क्षेत्रों में शहरी स्थानीय निकायों (नगर निगम, समितियों) के माध्यम से संपत्ति कर लगाने की एक अधिसूचना जारी की थी।
अधिसूचना में जम्मू-कश्मीर संपत्ति कर बोर्ड अधिनियम 2013 (अधिनियम), जम्मू-कश्मीर नगरपालिका अधिनियम 2000, और जम्मू और कश्मीर नगर निगम अधिनियम 2000 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत सरकार इसके द्वारा निर्देश देती है कि वसूली के लिए किसी भी भूमि या भवन पर संपत्ति कर, जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में अधिसूचित भूमि का मूल्य और मार्केट वैल्यू गाइडलाइन नियम 2011 (सर्कल रेट) का संशोधन निर्माण की प्रकृति, उपयोग प्रकार, संपत्ति की आयु, या किसी अन्य प्रासंगिक विचार के अलावा संपत्ति के मूल्य का एक प्रमुख निर्धारक होना चाहिए।
इसमें कहा गया है कि संपत्ति कर बोर्ड या जैसा भी मामला हो, संबंधित नगर निगम, परिषद या समिति ये सुनिश्चित करेगी कि अधिनियम के तहत संपत्ति कर लगाने के लिए इकाई क्षेत्र के मूल्यों का निर्धारण करते समय अधिसूचित भूमि का मूल्य पर्याप्त रूप से निर्धारित किया जाए। अक्टूबर, 2020 में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर में अपने संबंधित क्षेत्रों में नगर निगमों, नगरपालिका परिषदों और नगरपालिका समितियों के माध्यम से संपत्ति कर लगाने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार को अधिकार दिया था।