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चमोली ग्लेशियर: “दृश्य केदारनाथ त्रासदी से भी भयावह, उम्मीद नहीं थी वापस लौटूंगा”: चश्मदीद

“ऋषिकेश-श्रीनगर हाईवे पर करीब 9 घंटे तक जाम में फंसा रहा। कई लोग अपना प्लान बदलकर दूसरे जगहों पर जाने...
चमोली ग्लेशियर: “दृश्य केदारनाथ त्रासदी से भी भयावह, उम्मीद नहीं थी वापस लौटूंगा”: चश्मदीद

“ऋषिकेश-श्रीनगर हाईवे पर करीब 9 घंटे तक जाम में फंसा रहा। कई लोग अपना प्लान बदलकर दूसरे जगहों पर जाने के लिए गाड़ी घुमाने लगे थे। हमलोग आगे, बीच में फंसे थे। इस वजह से चमोली जाना पड़ा। लेकिन, इस त्रासदी ने रोंगटे खड़े कर दिए हैं। दृश्य केदारनाथ त्रासदी से भी भयावह लगा। सामने मौत मंडरा रही थी। उम्मीद नहीं थी वापस जाउंगा।“ दवा की कंपनी ‘सिप्ला’ के कर्मचारी गौरव त्यागी ये कहते हुए सहम जाते हैं। त्यागी अपने चार दोस्तों के साथ 4 दिनों के लिए वीकेंड ट्रिप पर शुक्रवार की रात दिल्ली से उत्तराखंड के लिए निकले थे।

रविवार को उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर के टूटने से भारी तबाही हुई है। अब तक 203 लोग लापता हैं जबकि 14 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। रेस्क्यू में जुटे सुरक्षाबलों ने अब तक मलबे से 15 लोगों को निकाला है। इस वक्त अलकनंदा और धौली गंगा नदी उफान पर हैं।

गौरव त्यागी चमोली के निचले इलाके में रूके थे। जिस वक्त ये हादसा हुआ वो तपोवन के लिए जा रहे थे, जो घटना स्थल से करीब 4 किलोमीटर नीचे का इलाका था। आउटलुक से बातचीत में त्यागी बताते हैं, “पानी और मलबे के जोर-जोर की आवाजें आ रही थी। दिमाग सुन हो गए थे। कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। सामने हर तरफ काफी हलचल तेज हो गई थी। निचले इलाकों में आ रहे पानी से ज्यादा मलबे थे। उस वक्त कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। जो लोग ऊपर की तरफ गए थे वो सभी नीचे की तरफ भागे आ रहे थे। स्थानीय प्रशासन की तरफ से लगातार अलर्ट जारी किए जा रहे थे।“

इस त्रासदी में सबसे अधिक ऋषिकेश गंगा पावर प्रोजेक्ट को अधिक नुकसान हुआ है। हादसे के वक्त साइट पर 100 से अधिक लोग काम कर रहे थे, जो लापता हो गए। त्यागी बताते हैं, हमलोग तपोवन में थे। सामने मलबे बह रहे थे। जो हमने केदारनाथ त्रासदी के दौरान वीडियो देखे थे वो सामने नजर आ रहा था। पानी डैम को तोड़ते हुए तेज रफ्तार में बहा जा रहा था। हमने जोशीमठ के लिए अपनी गाड़ी घुमाई। वहां, पर भी हाईअलर्ट था। उसके बाद हमलोगों ने सोचा कि निचले इलाकों से अधिक सुरक्षित अब उपरी इलाका है। औली जाने के बाद करीब 4 बजे भी जोशीमठ में वही अफरातफरी थी। फिर, चमोली के लिए निकलना पड़ा। क्योंकि, इन सभी इलाकों के होटलों को खाली कराए जा रहे थे। खाना-पानी सब कुछ महंगा हो गया था। दोगुने दाम पर चीजें मिलने लगी।“

अपने चार दोस्त प्रिंस, आकाश और अभिजीत के साथ गए गौरव त्यागी आगे बताते हैं, “भीड़ कम थी। चमोली के होटल में रातभर रूकना पड़ा लेकिन नींद नहीं आई। होटल के मालिक ने कई बार आकर बातचीत की और भरोसा दिलाया कि सब ठीक हो रहा है और हमलोग सुरक्षित हैं। घर से भी सभी लोग बारबार कॉल कर रहे थे। अब हमलोग निकल रहे हैं।“



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