देश में कोयला के स्टॉक के खत्म होने से पावर प्लांटों पर संकट गहरा रहा है। इससे देश में बिजली संकट भी खड़ा हो गया है। कई राज्यों ने रिपोर्ट किया है कि उनके पास कोयला का स्टॉक मात्र कुछ दिनों का बचा हुआ है। यहां तक की दर्जन भर से अधिक पावर प्लांट बंद हो गए हैं। हालांकि, केंद्र का कहना है कि ऐसा कोई संकट नहीं है।
अब संकट की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार हरकत में आ गई है। पहले सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ऊर्जा मंत्री आरके सिंह और कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ बिजली संकट पर एक घंटे तक बैठक की। वहीं, मंगलवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में इस संकट पर उच्च स्तरीय बैठक होने जा रही है।
इस बैठक में केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय और कोयला सचिव मौजूदा हालात से जुड़ी विस्तृत जानकारी पीएम मोदी के प्रधान सचिव को सौंपेंगे। गौरतलब है कि ऊर्जामंत्री ने देश को आश्वस्त किया था कि पावर प्लांटों की मांग के अनुरूप पर्याप्त कोयला उपलब्ध है और इसमें कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।
दरअसल, कोल सेक्टर से जुड़े जानकारों के मुताबिक सरकार की कुछ गलतियां और अचानक मांग बढ़ने से ये संकट गहराया है। कोविड-19 महामारी के दौरान अचानक से अधिकांश फैक्ट्रियां बंद हो गई थी। जिसकी वजह से कोयला की डिमांड मार्केट में घट गई। लेकिन, अचानक लॉकडाउन के हटते और फैक्ट्रियों के फिर से खुलने की वजह से डिमांड मार्केट में कोयला की अचानक बढ़ गई।
वहीं, केंद्र ने मौसम को ध्यान में रखते हुए कोयला का स्टॉक नहीं किया। जिसकी वजह से इन सारी दिक्कतों का सामना इस वक्त देश कर रहा है।