गिरिजाघरों में सुधारों के लिए आवाज उठाने वाला केरल कैथलिक रीफॉर्मेशन मूवमेंट अपनी मांग को लेकर कोच्चि में बिशप हाउस के बाहर धरने पर बैठ गया।
संगठन की सदस्य इंदुलेखा जोसेफ ने कहा कि वे पादरियों की कथित संलिप्तता वाले यौन उत्पीड़न के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह मांग उठा रहे हैं।
इस आंदोलन में महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों समेत कई लोगों ने हिस्सा लिया। यह धरना कोच्चि में मरीन ड्राइव पर आर्चबिशप के मकान के सामने किया गया।
धरने पर बैठे लोगों के हाथ में बैनर थे, जिनपर लिखा था- ननों को महिलाओं की अपराध स्वीकारोक्ति की रस्म कराने दी जाए, महिलाएं पादरियों के स्वीकारोक्ति केंद्रों से डरती हैं।
इंदुलेखा ने यह भी दावा किया कि बाइबिल में यह कहीं नहीं कहा गया है कि स्वीकारोक्ति का काम सिर्फ पादरी ही करवाएं।
केरल कैथलिक बिशप काउंसिल ने समूह के इस विरोध प्रदर्शन को खारिज करते हुए कहा कि इस समय इस मुद्दे पर चर्चा की कोई जरूरत नहीं है।
फादर वर्गीज वल्लीकट ने पीटीआई भाषा से कहा, यह आंदोलन सिर्फ मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए है और इसका आयोजन पवित्र बाइबिल के मूल सिद्धांतों को समझे बिना ही किया गया है।
उन्होंने कहा, हम उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे को अवमानना बताकर खारिज नहीं कर रहे लेकिन उनकी मांग में गंभीरता नहीं है। उन्हें चर्च के मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए और बाइबिल पढ़नी चाहिए।
यह आंदोलन कन्नूर जिले के कोट्टियूर में एक कैथलिक पादरी द्वारा एक नाबालिग लड़की के साथ कथित तौर पर किए गए बलात्कार की हालिया घटना की पृष्ठभूमि में किया गया है। भाषा