आईआईएमसी परिसर में 20 मई को ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय पत्रकारिता’ को लेकर एक सेमिनार होने जा रहा है। सेमिनार में देश के कई जाने-माने लोग शिरकत करने जा रहे हैं। इस सेमिनार में आरएसएस के मुखपत्र पाञ्चजन्य के प्रकाशक हितेश शंकर सहित संघ परिवार से जुड़े कई विचारक, पत्रकार और लेखकों को बुलाया गया है। साथ ही कार्यक्रम का आरंभ यज्ञ-हवन से किया जा रहा है। कार्यक्रम की खबर फैलते ही सोशल मीडिया पर इसका विरोध हो रहा है। खासकर संस्थान से जुड़े पुराने छात्रों ने इस कार्यक्रम को आईआईएमसी की प्रतिष्ठा और सिद्धातों के विपरीत बताया है।
कौन हैं आयोजक
मीडिया स्कैन, गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति, नई दिल्ली और आईआईएमसी के संयुक्त रूप से इसका आयोजन कर रहे हैं। सेमिनार के छह सत्रों में वंचित समुदायों के सवाल, इतिहास पुनर्लेखन, जम्मू कश्मीर के हालात, सरकारी जनसंचार सेवा और विशेषज्ञता, राष्ट्रीय विचारों की पत्रकारिता और धर्मपाल स्मृति व्याख्यान पर चर्चा की जाएगी।
बस्तर के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक कल्लूरी भी होंगे शामिल
सेमिनार के एक सत्र में बस्तर संभाग के पूर्व आईजी कल्लूरी भी शामिल हो रहे हैं। ‘वंचित समाज के सवाल’ विषय पर एसआरपी कल्लूरी चर्चा करेंगे।
क्या कह रहे हैं पूर्व छात्र ?
इस कार्यक्रम को लेकर आपत्ती दर्ज कराते हुए आईआईएमसी के पूर्व छात्र-गण सोशल मीडिया और अखबारों पर कई लेख और विचार साझा कर रहे हैं। संस्थान के पूर्व छात्र और पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव लिखते हैं, ‘अगर इस संस्थान में एक ‘यज्ञ’ होने जा रहा है, तो यह अपने आप में कोई स्वतंत्र घटना नहीं है, बल्कि अतीत में संस्थान की प्रतिष्ठा, शुचिता और गरिमा के साथ किए गए विचारधारात्मक दुराचार का विस्तार ही है।’ वहीं संस्थान के पूर्व छात्र अविनाश चंचल इसे धर्मनिरपेक्षता के विरुद्ध मानते हैं।
समर्थन में भी आए छात्र
एक तरफ जहां छात्र इसके विरोध में हैं, वहीं कुछ छात्र और पत्रकार इस यज्ञ के समर्थन में भी दलील दे रहे हैं। पूर्व छात्र भूपेन्द्र सिंह का कहना है, ‘जो संविधान का थोड़ा भी सम्मान करते वे कभी भी हवन का विरोध नहीं करते। उन्होंने कहा कि संविधान हर किसी की धार्मिक भावनाओं के सम्मान की बात करता है। हवन का विरोध करके आप समानता की नहीं बल्कि संविधान का अपमान कर रहे हैं।’ वहीं कुछ पूर्व छात्रों का कहना है कि इस सेमिनार का विरोध कुछ खास किस्म की विचारधारा के लोग ही कर रहे हैं, जिनका आईआईएमसी से कोई लेना देना नहीं है।
क्या कहते हैं आयोजक?
इस कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े आशीष कुमार अंशु कहते हैं, “हर देश की अपनी विशिष्ट परंपरा होती है। भारत में 90 फीसदी कार्यक्रमों का शुभारंभ दीप-प्रज्वलन से होता है। अधिकांश शैक्षणिक संस्थान के कार्यक्रमों में शुभारंभ की यही परंपरा है।” वे आगे कहते हैं, “अब कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ से हो रहा है तो मार्क्सवादी मित्र क्यों भड़क रहे हैं? ऐसा सिर्फ इसलिए कि केंद्र में राष्ट्रीय विचार की सरकार है और मीडिया में यह मामला उछल जाए कि शैक्षिक संस्थानों का भगवाकरण हो रहा है!”
बता दें कि आईआईएमसी के वर्तमान डीजी के जी सुरेश हैं। वे संघ और संघ समर्थित संस्थानों से नजदीकियों की वजह से चर्चित रहे हैं।