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नहीं रहीं भारत की पहली महिला डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य, जानिए इनके बारे में

देश की पहली महिला डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) कंचन चौधरी भट्टाचार्य का सोमवार रात मुंबई में निधन...
नहीं रहीं भारत की पहली महिला डीजीपी कंचन चौधरी भट्टाचार्य, जानिए इनके बारे में

देश की पहली महिला डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) कंचन चौधरी भट्टाचार्य का सोमवार रात मुंबई में निधन हो गया। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रही थीं। कंचन उत्तराखंड की डीजीपी थीं। उनके निधन की जानकारी उत्तराखंड पुलिस ने ट्वीट के जरिए दी। उन्होंने लिखा 'प्रदेश की पूर्व डीजीपी श्रीमती कंचन चौधरी भट्टाचार्य, 1973 बैच की आईपीएस अधिकारी, जो कुछ समय से बीमार चल रही थीं, के निधन पर उत्तराखंड पुलिस उनके परिजनों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करते हुए उनके द्वारा दिए गए अभूतपूर्व योगदान को याद करती है।'

देश की पहली महिला डीजीपी बनने का मिला था गौरव

दिवंगत कंचन चौधरी भट्टाचार्य देश की पहली महिला डीजीपी रहीं। उनका पुलिस करिअर शानदार रहा। रिटायर होने के बाद उन्होंने सियासत में भी हाथ आजमाया लेकिन सफल नहीं हो सकीं। कंचन चौधरी भट्टाचार्य 2004 में उत्तराखंड की डीजीपी बनीं। वह राज्य की तीसरी डीजीपी थीं। उनसे पहले अशोककांत शरण और पीडी रतूड़ी इस पद पर रहे थे। उनकी छवि एक सख्त अधिकारी की थी। डीजीपी बनने से पहले वह राज्य पुलिस के सतर्कता विभाग में तैनात रहीं। इससे पहले वह मुंबई में सीआईएसएफ में महानिरीक्षक थीं। वह यूपी कैडर की थीं लेकिन बाद में उन्होंने उत्तराखंड कैडर ले लिया था।

2007 में हुईं थीं रिटायर

डीजीपी कंचन चौधरी 21 अक्टूबर 2007 को डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (DGP) के पद से रिटायर्ड हो गई थीं। वह 1973 बैच की आईपीएस अधिकारी थीं। 2004 में इन्हें डीजीपी के रूप में उत्तराखंड में नियुक्त किया गया था।

आम चुनाव में हरिद्वार लोकसभा सीट से आजमाई थी किस्मत

कंचन चौधरी भट्टाचार्य ने सिस्टम को सुधारने के वादे के साथ वर्ष 2014 के आम चुनाव में हरिद्वार लोकसभा सीट से किस्मत आजमाई थी, लेकिन वो टॉप थ्री में भी नहीं आ पाई थीं। भले ही वो चुनाव हार गई थीं, लेकिन उनकी मौजूदगी के चलते हरिद्वार लोकसभा सीट देशभर में सुर्खियों में रही थी।

‘आम आदमी पार्टी’ के शीर्ष नेतृत्व ने महिलाओं के बीच खासी सक्रिय रहीं कंचन को उतारकर एक तरह से सबको चौंका दिया था। ‘आप’ से उनके नाम की घोषणा होते ही वो खासी चर्चा में आ गई थीं। लेकिन चुनाव का अनुभव न होना और चुनाव में उनके पक्ष में मेहनत करने के लिए आम आदमी पार्टी का सांगठनिक ढांचा नहीं होना उनकी बड़ी कमजोरी के रूप में सामने आया।

इस सीट पर भाजपा के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत के मैदान में होने के साथ-साथ बसपा के मोहम्मद हाजी इस्लाम की मौजूदगी ने पहले ही लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया था।

भट्टाचार्य के जीवन पर धारावाहिक उड़ान'

एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से भारतीय पुलिस सेवा तक का सफ़र तय करने वाली कंचन चौधरी के जीवन पर नब्बे के दशक में दूरदर्शन का लोकप्रिय धारावाहिक 'उड़ान' बना था। उड़ान धारावाहिक महिला सशक्तीकरण पर केंद्रित था। इसमें दिखाया गया था कि कल्याणी सिंह नाम की एक युवा लड़की हर स्तर पर लैंगिक भेदभाव से जूझते हुए आईपीएस अधिकारी बन जाती है। यह शो ऐसे समय में आया जब महिलाओं को वर्दी में देखना असामान्य था और इस शो ने कई महिलाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम किया।

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