कश्मीर के कई हिस्सों में रविवार को कर्फ्यू जैसी पाबंदियां लगाई गई हैं। घाटी में मुहर्रम के जुलूस निकालने के दौरान किसी भी योजना को विफल करने के लिए इस तरह के प्रतिबंध लागू किए गए हैं। अधिकारियों ने माना कि बड़ी सभाओं में हिंसा हो सकती है।
अधिकारियों ने कहा कि लाल चौक और आस-पास के इलाकों के वाणिज्यिक केंद्रों के सभी एंड्री प्वाइंट पर कंसर्टिना के तार लगाकर पूरी तरह से सील कर दिया गया। उन्होंने कहा कि घाटी में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियात के तौर पर कश्मीर के कई हिस्सों में प्रतिबंध है।
चिकित्सा आपात स्थिति वाले लोगों को बस बैरिकेड पास करने की अनुमति
अधिकारियों ने प्रतिबंधों के दोबारा लागू करने के लिए किसी भी कारण का हवाला नहीं दिया लेकिन माना जाता है कि शहर और अन्य जगहों पर मुहर्रम के जुलूसों को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। चिकित्सा आपात स्थिति वाले लोगों को केवल बैरिकेड पास करने की अनुमति दी जा रही है।
कश्मीर में पाबंदियों का 35वां दिन
रविवार को कश्मीर में पाबंदियों का 35वां दिन है। प्रतिबंधों को पहली बार कश्मीर में 5 अगस्त को लगाया गया जब केंद्र ने धारा 370 के प्रावधानों को निरस्त करने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के अपने फैसले की घोषणा की। समय बीतने के साथ स्थिति में सुधार होने के बाद घाटी के कई हिस्सों से प्रतिबंधों को हटा लिया गया। वहीं अधिकारी हर शुक्रवार को घाटी के संवेदनशील क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाते रहे हैं। उनका मानना है कि निहित स्वार्थी तत्व बड़ी मस्जिदों और धार्मिक स्थलों पर बड़े समारोहों के दौरान विरोध कर सकते हैं।
इस बीच घाटी में बंद के कारण कश्मीर में आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। अधिकांश शीर्ष-स्तर और दूसरे-रेंग अलगाववादी नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है, जबकि मुख्यधारा के नेताओं तीन पूर्व मुख्यमंत्री- फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी नजरबंद रखा गया है।