इन दिनों देश के कई हिस्सों में बारिश भारी तबाही मचा रही है। कई लोग बारिश सम्बंधित घटनाओं में अपनी जान गंवा चुके हैं। हालांकि कई लोग इस खौफनाक मंजर के गवाह रहे जो संघर्ष करते हुए जिंदा बच गए। इन्हीं में से एक उत्तराखंड के झूतिया गांव में मची तबाही से बचकर निकले सुरेश कुमार हैं।
हिंदुस्तान के मुताबिक वे बताते हैं, "मुझे कुछ अधिक याद नहीं, सब सोए हुए थे। सब कमरे में अंदर की ओर थे और मैं दरवाजे के पास सोया था। एक धमाके की आवाज हुई और सब चिल्लाए। मुझे अनुभव हुआ कि पानी और पत्थर का सैलाब साथ बहाकर ले जा रहा है। मैं केवल भागो-भागो ही चिल्ला सका। उसके बाद क्या हुआ, मुझे याद नहीं। सुबह जब लोगों ने मुझे बाहर निकाला तब पता चला कि सब साथी मर चुके हैं, मैं ही बचा हूं। "
आपबीती बताते हुए सुरेश कुमार की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे। उन्होंने बताया कि लगभग आठ घंटे बाद भी वह अस्पताल नहीं पहुंच पाए। गांव वालों ने किसी तरह मरहम पट्टी कर उनकी जान बचाई। सुरेश कुमार के साथ झूतिया गांव के लोग भी इस तबाही से गहरे सदमे में हैं।
इस बारिश में रामगढ़ ब्लॉक के झूतिया गांव ने भारी बारिश के बीच सबसे बड़ी त्रासदी झेली। मंगलवार तड़के गांव के ऊपर से पानी के साथ मलबा और बड़ी मात्रा में पत्थर आए और एक घर को अपनी चपेट में ले लिया। घर के भीतर सो रहे नौ लोग मलबे में दब गए। इनमें अधिकतर बिहार से आए मजदूर थे।
सुरेश कुमार किसी प्रकार पानी के बहाव के साथ बहकर घर के बाहर आ गए। इस तरह से उनकी जान बच गई। लेकिन बुरी तरह जख्मी सुरेश गहरे सदमे में हैं। सामाजिक कार्यकर्ता देवेंद्र मेर ने बताया कि बारिश की वजह से गांव तक पहुंचना कठिन है। घायलों को अस्पताल तक नहीं पहुंचाया जा सका है। गांव में बिजली-पानी की व्यवस्था भी ठप है। गांव के दो से तीन घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं पर किसी की हिम्मत नहीं हो रही कि वहां जाकर घायलों को बाहर निकाला जा सके। कई मकान टूटने की कगार पर हैं। गांव सड़क से लगभग चार किलोमीटर दूर है। वहां तक पहुंचने के सारे रास्ते टूट चुके हैं। ऐसे में राहत और बचाव टीम को भी यहां आने में मुश्किलें आ रही हैं।