नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार को चुनाव आयोग ने कांग्रेस के न्यूनतम आय योजना पर टिप्पणी करने के लिए नोटिस जारी किया है। राजीव कुमार ने कांग्रेस पार्टी द्वारा घोषित न्यूनतम आय के चुनावी वादे सवाल उठाए थे। राजीव कुमार ने इसे चुनावी जुमला बताते हुए इसे खजाने के लिए बड़ा बोझ बताया था। आयोग ने पद पर रहते हुए राजनीतिक पार्टी के वादे की आलोचना को आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए नोटिस जारी कर जवाब देने को कहा है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आयोग ने राजीव कुमार को जारी नोटिस में कहा है कि पद पर रहते हुए नौकरशाहों को राजनीतिक पार्टियों से संबंधित बयान जारी करना आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। आयोग ने कुमार की प्रतिक्रिया को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुये इस पर संज्ञान लिया है। आयोग ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष को ‘कार्यपालिक के अधिकारी’ की श्रेणी में होने के कारण उनकी प्रतिक्रिया को आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में रखा है। आयोग के एक अधिकारी ने इस मामले पर संज्ञान लिये जाने के पीछे दलील दी कि, ‘‘यह एक राजनीतिक दल के दूसरे राजनीतिक दल पर या एक नेता के दूसरे पर हमले का मामला नहीं है।’’
राजीव कुमार ने क्या कहा था?
मंगलवार को कांग्रेस के न्याय स्कीम की आलोचना करते हुए राजीव कुमार ने ट्वीट किए थे। उन्होंने लिखा था, '5 करोड़ गरीब परिवारों को न्यूनतम आय गारंटी के तहत सालाना 72,000 रुपये देने के वादे से राजकोषीय अनुशासन धाराशायी हो जाएगा। इस योजना से एक तरह से काम नहीं करने वालों को प्रोत्साहन मिलेगा।' सोशल मीडिया पर किए इस ट्वीट के बाद कई यूजर्स ने भी इसे राजनीतिक टिप्पणी मानकर आलोचना की थी।
उन्होंने आगे ट्वीट किया था, ‘कांग्रेस के पुराने रिकॉर्ड को देखा जाए तो वह चुनाव जीतने के लिये चांद लाने जैसे वादें करती रही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने जिस योजना की घोषणा की है उससे राजकोषीय अनुशासन खत्म होगा, काम नहीं करने को लेकर एक प्रोत्साहन बनेगा और यह कभी क्रियान्वित नहीं होगा।'
चुनाव आयोग की अपील
लोकसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने के क्रम में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने मंगलवार को पुलिस एवं अन्य पर्यवेक्षकों की बैठक को संबोधित करते हुये स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने में पर्यवेक्षकों की निष्पक्ष भूमिका का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और केन्द्रीय पर्यवेक्षकों के बीच मिलीभगत से किसी भी प्रकार की दुराशय पूर्ण कार्रवाई से बचने के लिये आगाह भी किया। उल्लेखनीय है कि पिछले साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान पर्यवेक्षकों की पक्षपात एवं दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई की शिकायतें मिली थी। अरोड़ा ने कहा कि इस तरह की शिकायतों के ठोस साक्ष्य मिलने पर सख्त कार्रवाई की जायेगी।