आज जारी इकोनॉमिक सर्वे में स्कूली शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर भारी गिरावट दर्ज की गई है। स्कूली शिक्षा छोड़ने वाले छात्र बढ़े हैं। सर्वे में यह भी चिंता दर्शाई गई है कि उच्च शिक्षा के खर्च का वहन करना हर तबके के लिए आसान नहीं है। सर्वेक्षण ने इस बात पर जोर दिया कि समग्र शिक्षा 2018-19, सभी को शिक्षा प्रदान करने के लिए लॉन्च किया गया था जिसमें, प्री-स्कूल से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक सभी के लिए स्कूल शिक्षा की परिकल्पना की गई है। इसी के तहत, सरकार ने नई शिक्षा नीति तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की है जो शिक्षा की गुणवत्ता शिक्षा, इनोवेशन और शोध पर ध्यान देगी।
समावेशी विकास का लक्ष्य
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वे के अनुसार, सराकर का लक्ष्य 2030 तक सभी के लिए समान गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध करा कर टिकाऊ विकास लक्ष्य (एसडीजी)- 4 को हासिल करना है। इसकी पहल के रूप में सरकार, नवोदय विद्यालय योजना, प्रधानमंत्री नवीन शिक्षण कार्यक्रम, ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल अवसंरचना (दीक्षा) मंच का विस्तार करने और ई-पाठशाला जैसी ई-सामग्री साइटों की योजना बना रही है।
उच्च शिक्षा में नई पहल जरूरी
सर्वे में उच्च और तकनीकी शिक्षा में गुणवत्ता सिखाने और शिक्षण में सुधार के लिए की गई पहल की रूपरेखा भी है। साथ ही उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) की स्थापना, राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन प्रौद्योगिकी (एनईएटी), शिक्षा गुणवत्ता उन्नयन और समावेश कार्यक्रम (ईक्यूयूआईपी), परामर्श और मेगा ऑनलाइन डिग्री प्रोग्राम स्वयं 2.0 जैसी योजनाएं भी हैं।