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लॉकडाउन के बीच स्कूल फीस में बढ़ोतरी पर सभी राज्य करें जांच: सीबीएसई

कोविड-19 की वजह से लागू देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने...
लॉकडाउन के बीच स्कूल फीस में बढ़ोतरी पर सभी राज्य करें जांच: सीबीएसई

कोविड-19 की वजह से लागू देशव्यापी लॉकडाउन के मद्देनजर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वे शिक्षकों की सैलरी और छात्रों के स्कूल फीस भुगतान के मुद्दों की जांच करें। बता दें, लगातार देश में कोरोना वायरस के आंकड़ों में वृद्धि हो रही है। इसी बाबत केंद्र की तरफ से लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक कर दिया गया है। जिसकी वजह से सभी शिक्षण संस्थान पूरी तरह से बंद हैं। लेकिन, इस दौरान ऐसी खबरें आ रही हैं कि स्कूल छात्रों से फीस वसूली के लिए नोटिस भेज रहे हैं। कई राज्यों ने फीस बढ़ाने और एक साथ 3 महीने की फीस लेने पर रोक लगा दी है।

सैलरी और फीस के भुगतान की करें जांच

सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर कहा कि शिक्षकों के वेतन और छात्रों की फीस के मुद्दे की जांच करें। दरअसल, सीबीएसई नियमावली के अनुसार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित नियमों के तहत फीस लिया जाना चाहिए। इसके आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभाग को यह भी अधिकार है कि वे फीस वसूली की प्रक्रिया भी तय कर सकतेे हैं।  

बिना इजाजत नहीं बढ़ा सकते फीस: सिसोदिया

इससे पहले शुक्रवार को दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि कोई भी प्राइवेट स्कूल सरकार से बिना इजाजत लिए फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकता है। सिसोदिया ने कहा कि कोई भी स्कूल तीन महीने की फीस नहीं मांगेगा। इसके अलावा कोई भी स्कूल ट्रांसपोर्टेशन फीस भी नहीं ले सकता। उन्होंने कहा कि अगर कोई पेरेंट्स फीस नहीं दे पा रहा है तो उनके बच्चों का नाम ऑनलाइन टीचिंग से नहीं हटाया जाएगा। कोई निजी स्कूल किसी स्टाफ की सैलरी नहीं रोकेगा। सभी प्राइवेट स्कूलों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने सभी स्टाफ को समय पर वेतन दें। वहीं महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री ने भी अभिभावकों से कहा है कि स्कूल से संबंधित कोई भी शिकायत वो शिक्षा अधिकारी के पास कर सकते हैं।

एमएचआरडी मंत्री ने स्कूलों से पुनर्विचार की अपील की

वहीं, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने निजी स्कूलों से लॉकडाउन के दौरान सालाना फीस बढ़ोतरी और अभिभावकों से तिमाही फीस लेने के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, "देश के अनेक अभिभावकों ने मेरे संज्ञान में यह बात लाई है कि इस संकट के समय में भी स्कूल सालाना फीस में बढ़ोतरी कर रहे हैं और 3 महीने की फीस एक साथ ले रहे हैं। मेरा सभी स्कूलों से निवेदन है कि वैश्विक आपदा के समय इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें। आशा है कि सभी स्कूल अपने टीचर और अन्य स्टाफ को समय पर सैलरी उपलब्ध कराने की चिंता कर रहे होंगे। मैं राज्यों के शिक्षा विभागों से आशा करता हूं कि वे संतोषजनक तरीके से अभिभावकों और स्कूलों के हितों के संरक्षण की दिशा में बेहतर सामंजस्य स्थापित कर रहे होंगे।"

 

 

 

 

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