नेपाल की राजनीति में मधेसियों के सवाल जितने अहम है, उतना ही अहम उसका भारत के नेपाल से रिश्ता भी है। यह बात नेपाल की राजधानी काठमांडो में नेपाली कांग्रेस के 13वे राष्ट्रीय सम्मेलन में उभर कर आई, जिसमें शिरकत करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गए थे। इस सम्मेलन के दौरान जिस तरह से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से द्विपक्षीय रिश्तों पर बात की, वह बिहार की नेपाल राजनीति में महत्व को रेखांकित करता है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नेपाल में भव्य स्वागत हुआ और तमाम दलों के लोगों ने उनसे मुलाकात की। इस बारे में नीतीश कुमार के साथ उनकी पार्टी के सांसद केसी त्यागी ने आउटलुक को बताया कि नेपाल को भारत और खासतौर से बिहार से बहुत उम्मीदें है। वहां नीतीश कुमार से मिलने मधेशी आंदोलन के नेता भी आए और उन्होंने अपने मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। नीतीश कुमार ने माना कि मधेशियों की कुछ मांगे सही है लेकिन इस बारे में फैसला नेता के राजनीतिक दलों और वहां की जनता को करना है। केसी त्यागी का मानना है कि बिहार के मुख्यमंत्री से नेपाल की बढ़ी हुई अपेक्षाएं नीतीश कुमार के दूरगामी नजरिए की पुष्टि करती हैं। नीतीश कुमार ने नेपाली राष्टपति विद्या देवी भंडारी, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मुलाकात कीष उन्होंने यूसीपीएन-माओवादी नेता प्रचंड से भी बातचीत की। सम्मेलन में नीतीश कुमार ने कहा कि वह विकास के मुद्दों को लेकर नेपाल को सहयोग प्रदान करने के लिए तैयार हैं।
वैसे, नेपाल में मधेसी आंदोलन को बिहार से बहुत उम्मीद है। उन्हें यह लगता है कि बिहार का नेतृत्व अगर मधेशी आंदोलन को समर्थन दे दे। इसके लिए पिछले कुछ महीनों से मधेशी नेताओं ने बिहार में नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेताओं से मुलाकात का दौर शुरू कर दिया था। नेपाली कांग्रेस के सांसद और मधेशी आंदोलन के नेता अमरेश कुमार ने बताया कि बिहार से सटे नेपाल के इलाकों में मधेशी आंदोलन बहुत सक्रिय है। बिहार से नेपाल गए लोगों का इस आंदोलन में बहुत अहम भूमिका है। लिहाजा, बिहार के मुख्यमंत्री की इस मसले पर अहम भूमिका हो सकती है।