29 जुलाई, 1931 को जन्में नारायण रेड्डी को उनके बेहतरीन लेखनी के लिए साल 1988 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था। नारायण रेड्डी ने ओसमानिया यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। कॉलेज के दौरान भी नारायण अपनी कविताओं के कारण लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहते थे। फिर सुशीला रेड्डी से शादी की, जिससे उनकी 4 बेटियां हैं। वो अपनी पत्नी से इतने ज्यादा प्रभावित थे कि उन्होंने अपनी पत्नी के नाम से एक अवॉर्ड की शुरुआत कर दी, जो महिला लेखिकाओं को दिया जाता था।
नारायण रेड्डी को साल 1978 में आंध्रा यूनिवर्सिटी की ओर से कला प्रपूर्णा अवॉर्ड दिया गया। वहीं, साल 1977 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था। साल 1988 में राज-लक्ष्मी अवॉर्ड और 1992 में भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण दिया गया। साल 1997 में नारायण रेड्डी को को राज्य सभा के लिए नामित किया गया था।
साल 1962 में ही नारायण ने फिल्म इंडस्ट्री के लिए गाना लिखना शुरू कर दिया। पहली फिल्म मिली 'गुलेबकावली कथा'। इस फिल्म के साथ ही वो मशहूर हो गए। नारायण रेड्डी ने फिल्मों के लिए 3000 से ज्यादा गाने लिखे। यहां तक कि कुछ फिल्मों की कामयाबी का श्रेय भी नारायण के लिखे गानों को ही दिया जाता है।