देश के शीर्ष प्रौद्योगिकी संस्थानों को शोध के लिए कॉरपोरेट घरानों से आर्थिक मदद की दरकार है। इससे उनके शोध की स्वायत्ता और जनपक्षधरता पर कितना असर पड़ेगा, इस पर अभी वे चिंतित नहीं है, वे चाहते है कि बड़े-बड़े रिसर्च पार्क शुरू हों। आईआईटी दिल्ली, खड़कपुर और कानपुर ने शोध के लिए कॉरपोर्ट से साझेदारी के लिए लंबी-चौड़ी योजनाएं भी बना ली है। कुछ ने तो तमाम बड़े कॉरपोरेट घरानों से इस मद में निवेश करने का आग्रह भी किया है।
आईआईटी दिल्ली 150 करोड़ रुपये का मिनी साइंस पार्क अपने कैम्पस में ही तैयार कर रहा है। संस्थान की योजना हरियाणा के सोनीपत और झज्जर में भी इसी तरह के साइंस पार्क स्थापित करने की है। इसके लिए 200 करोड़ रुपये से अधिक की जरूरत है। खबर है कि इनके लिए कॉरपोरेट फंडिंग की कोशिश हो रही है।
इसी तरह से आईआईटी कानपुर भी अपने कैम्पस में एक उच्च शोध केंद्र शुरू करने की तैयारी में है जिसके लिए 120 करोड़ रुपये की जरूरत है। वहीं आईआईटी खड़कपुर ने पश्चिम बंगाल के साथ मिलकर कोलकाता में एक शोध केंद्र विकसित करने की योजना बनाई है। आईआईटी मुंबई ने अपने परिसर में एक वृहद शोध केंद्र विकसित करने की तैयारी शुरू कर दी है।
बताया जाता है कि इन तमाम आईआईटी संस्थानों को इन शोध केंद्रों के लिए सरकारी मदद मिलने की आस नहीं है, इसलिए उन्होंने कॉरपोरेट फंडिंग की ओर रुख किया है। आईआईटी दिल्ली में एक फैक्लटी सदस्य ने बताया कि कॉरपोरेट घरानों की भी दिलचस्पी है कि वे इन शोध केंद्रों में निवेश करें। ऐसा करने पर उन्हें बहुत कम निवेश पर आला दिमाग उनके एजेंडे पर शोध करने के लिए मिल जाएंगे। ऐसी ही आशंका देश के शीर्ष वैज्ञानिक पी.एम. भार्गव ने भी आउटलुक से साझा की। उनका कहना है कि जब भी कंपनियां सरकारी या स्वायत्त संस्थानों में शोध को फंड करती हैं, वे अपने एजेंडे को लागू करवाती हैं। जैसा देश के तमाम बड़े कृषि विश्वविद्यालयों में हो रहा है। वहां अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसेंटो सहित दूसरी कंपनियां शोध के लिए पैसा देती है। इसने कृषि शोध को उनके एजेंडे वाला कर दिया है।
वहीं आईआईटी प्रबंधन को लगता है कि अगर कॉरपोरेट फंडिंग के साथ ये शोध केंद्र बनते हैं तो इससे इन संस्थआनों को अच्छे फैक्ल्टी सदस्य भी मिल जाएंगे। आईआईटी दिल्ली में रिसर्च के डीन सुनीत टुली का कहना है कि हरियाणा में दो शोध केंद्रों के लिए अगर कॉरपोरेट फंड हासिल करने की कोशिश की जा रही है। अगर यह मिल जाएगा तो शोध के लिए बेहतर अवसर मिलेंगे।