न्यायमूर्ति दत्तू ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। वह उस खंडपीठ का भी हिस्सा रह चुके हैं जिसमें सजायाफ्ता आतंकवादी देविंदर पाल सिंह भुल्लड़ को मृत्युदंड देने पर विचार किया जा रहा था क्योंकि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी और सरकार उसकी दयायाचिका पर विचार करने में देर कर रही थी।
न्यायमूर्ति दत्तू ने उस खंडपीठ की भी अध्यक्षता की है जिसने आतंकवाद कानून के तहत 11 लोगों को बरी किया था और गुजरात पुलिस से कहा था कि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को आतंकवादी करार देकर जेल में सिर्फ इसलिए नहीं डाल देना चाहिए कि वह अल्पसंख्यक समुदाय का है।