केन्द्रीय स्तर पर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) और राज्यों में खाद्य सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियों को मजबूत करने की 2014 में बनी 1750 करोड़ रुपए की योजना को कांट-छांट दिया गया है।
एफएसएसएआई के अध्यक्ष आशीष बहुगुणा ने छह जनवरी को लिखे गए अपने नोट में अपने स्टाफ को सुझाया है कि अथॉरिटी को अपने क्षेत्रीय कार्यालय बंद कर देने चाहिए और कानून के अनुपालन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की संस्थाओं को दे देना चाहिए। इससे केन्द्र द्वारा राज्य सरकारों के दिए जा रहे आठ सौ करोड़ रुपए बचेंगे। बहुगुणा ने यह भी सुझाया है कि नियमों में बदलाव कर राज्य सरकार के अधिकारियों के जिम्मे खाद्य सुरक्षा की निगरानी का काम सौंप देना चाहिए। जरूरी नहीं कि यह काम पूर्णकालिक ही हो। खाद्य जांच के लिए सरकारी प्रयोगशालाएं स्थापित करने की जगह निजी प्रयोगशालाओं से काम कराना चाहिए।
प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई एक बैठक में अथॉरिटी के कामकाज की समीक्षा के बाद बहुगुणा ने यह नोट जारी किया। एफएसएसएआई स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आती है। मैगी नूडल्स पर प्रतिबंध को लेकर नेस्ले कंपनी के साथ छिड़े विवाद में एफएसएसएआई को काफी दबाव झेलने पड़े थे। समाचारपत्र बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए गए एक इंटरव्यू में बहुगुणा ने कहा, वह नोट कोई फैसला नहीं है। उसके जरिए टीम से सुझाव मांगे गए हैं।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
			 
                     
                    