धर्मनगरी हरिद्वार स्थित हरि की पैड़ी पर अब फिर से गंगा जल ही बहेगा। त्रिवेंद्र सरकार ने कुंभ से पहले गंगा भक्तों और श्रद्धालुओं की मांग पूरी करते हुए गंगा का नाम स्क्रैप चैनल करने का कांग्रेस सरकार के समय का आदेश रद करने का फैसला किया है। अहम बात यह भी है कि सरकार के इस फैसले से गंगा किनारे खड़े सैकड़ों भवनों पर ध्वस्तीकरण का खतरा एक बार फिर से मंडरा रहा है।
दरअसल, नेशनल ग्रीन ट्रब्युनल (एनजीटी) से हरिद्वार में गंगा किनारों से दो मीटर के दायरे में बने भवनों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। इन भवनों को बचाने के लिए 2016 में उत्तराखंड में हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने गंगा नाम स्क्रैप चैनल रख दिया था। सरकार का यह आदेश हरिद्वार में भागीरथी बिंदु, सर्वानंद घाट, हरकी पैड़ी, मायापुर, दक्ष मंदिर से लेकर कनखल तक बहने वाली गंगा पर लागू हुआ था। इस आदेश से सरकार ने सैकड़ों भवनों और होटलों आदि को तो ध्वस्तीकरण ने बचा लिया था। लेकिन संतों, अखाड़ों और गंगा भक्तों में इससे खासा आक्रोश था।
सरकार इस समय 2021 में होने वाले हरिद्वार कुंभ तैयारियों में जुटी है। इसी बीच कांग्रेसी नेता हरीश रावत ने हरिद्वार में संतों से भेंटकर गंगा का नाम बदलने के लिए बदलने के लिए माफी मांगी। साथ ही त्रिवेंद्र सरकार से कहा कि वह उनकी सरकार के आदेश को बदल दे। सरकार के सामने संकट यह आया कि अगर स्क्रैप चैनल को फिर से गंगा का नाम दिया जाता है तो एनजीटी का आदेश स्वतः ही फिर से प्रभावी हो जाएगा और सैकड़ों भवनों को ध्वस्त करना होगा।
लंबे इंतजार के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लोगों की आस्था का ख्याल किया और स्क्रैप चैनल नाम फिर से गंगा करने का फैसला किया है। इसके बाद से विश्वभर में प्रसिद्ध हरकी पैड़ी पर बहने वाले पानी को फिर से गंगा जल कहा जा सकेगा। सरकार ने हरीश रावत सरकार का फैसला पटलने का तो निर्णय कर लिया है। लेकिन ऐसा होने से एनजीटी का आदेश फिर से प्रभावी हो गया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि त्रिवेंद्र सरकार एनजीटी के आदेश पर अमल करते हुए सैकड़ों भवनों और होटलों को ध्वस्त करती है या फिर कोई और रास्ता निकालकर इन लोगों को भी राहत देती है।