कानून का पालन करो या फिर कार्रवाई के लिए तैयार रहो- सरकार कुछ इसी तरह का कठोर संदेश भारत में सोशल मीडिया के उन प्रमुखों को देने जा रही है, जो फेक न्यूज पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं। सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और चाइल्ड पोर्नोग्राफी के अलावा गलत जानकारी पर रोक के लिए सरकार की उच्च स्तरीय समिति ने कुछ इसी प्रकार की सिफारिश की है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पिछले एक साल के दौरान करीब 40 लोगों के भीड़ की हिंसा का शिकार होने के बाद गठित सचिवों की समिति ने इस मुद्दे पर चर्चा की। इस बैठक के बारे में एक अधिकारी ने बताया कि व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फेक न्यूज फैलाने से इस तरह की घटनाएं होती हैं।
फेक न्यूज को लेकर केंद्र सख्त
केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में गठित समिति ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह (जीओएम) को अपनी रिपोर्ट सौंपी है। इसके बाद गृह मंत्री समिति की सिफारिश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेंगे।
अधिकारी के मुताबिक, भारत में सभी वैश्विक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के कंट्री प्रतिनिधि उपस्थित हैं। यदि वे अपने प्लेटफॉर्मों से आपत्तिजनक कंटेंट या वीडियो तत्काल हटाने का पालन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
इस दौरान फेक न्यूज, सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने वाले कंटेंट और वीडियो के प्रसारित होने के कारण भीड़ हिंसा, सांप्रदायिक तनाव और दंगे जैसी घटनाओं को देखते हुए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के शीर्ष अधिकारियों ने इस मुद्दे पर चर्चा की।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के भारतीय प्रतिनिधियों ने किया मदद का वादा
बता दें कि हाल ही में ट्विटर इंडिया, फेसबुक, व्हाट्सएप तथा यूट्यूब के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में सरकारी अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को बिना देरी किए दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। यदि वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई होगी।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों का कहना रहा है कि सोशल मीडिया के अधिकारी गैर-जिम्मेदाराना और भड़काऊ मैसेज के प्रसारित होने से अनजान नहीं रह सकते हैं और न ही वे अपनी जिम्मेदारी से बच सकते हैं।
एक और अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के भारतीय प्रतिनिधियों ने मदद का वादा किया है और कानून प्रवर्तन एजेंसियां उनकी गतिविधियों पर गंभीरता से निगरानी रखेंगी। समिति ने मंत्री समूह को अपनी रिपोर्ट सौंपने से पहले समाज के विभिन्न तबकों और अन्य पक्षकारों से भी विचार-विमर्श किया है।