दिल्ली उच्च न्यायालय के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार सबसे बड़ी वादी है। उन्होंने कहा, न्यायपालिका सबसे अधिक समय हमारे उपर खर्च करती है। हमारे उपर खर्च का मतलब मोदी से नहीं बल्कि सरकार से है। मोदी ने कहा कि अगर मामलों पर ठीक ढंग से विचार करने के बाद केस दायर किए जाएं तो न्यायपालिका पर बोझ कम किया जा सकता है। अगर एक शिक्षक सेवा से जुड़े किसी मामले में अदालत के समक्ष जाता है और उसे जीत हासिल होती है तो ऐसे न्यायिक आदेश को आधार बनाया जाना चाहिए ताकि इसका फायदा मिल सके और बाद के स्तर पर हजारों की संख्या में मुकदमों को कम किया जा सके। इस मामले में हालांकि कोई ठोस आंकड़े नहीं हैं, लेकिन सेवा मामलों से लेकर अप्रत्यक्ष करों तक विभिन्न अदालती मामलों में कम से कम 46 प्रतिशत में सरकार एक पक्ष है। केंद्र सरकार अभी तक वाद नीति को अंतिम रूप नहीं दे पाई है, कई राज्यों ने हालांकि विधि मंत्रालय के 2010 के मसौदे के आधार पर अपनी अपनी नीतियां बनाई हैं।
सरदार पटेल की जयंती पर अखिल भारतीय लोक सेवा के गठन के संबंध में उनकी भूमिका याद करते हुए मोदी ने कहा कि नीतियों को लागू करने के लिए अधिकारी केंद्र और राज्यों के बीच सेतु का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के कारण जिलों में तैनात आईएएस अधिकारी राष्ट्रीय स्तर के अनुरूप सोचते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि हालांकि यह विवादास्पद है, पर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। इस विचार का कुछ राज्यों और उच्च न्यायालयों द्वारा विरोध किए जाने की पृष्ठभूमि में मोदी ने कहा कि चर्चा लोकतंत्र का सार तत्व है। मोदी ने कानून का मसौदा बनाने के संदर्भ में विधि विश्वविद्यालयों में युवा लोगों को प्रशिक्षण देने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि इससे भेदभाव और व्याख्या के दायरे को कम किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस दायरे को हालांकि शून्य नहीं किया जा सकता। मोदी ने विवादों के निपटारे के विकल्प प्रदान करने में बार और पीठ की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे अदालतों में लंबित मामलों को कम करने में मदद मिल सकती है। प्रधानमंत्री के अलावा इस समारोह में भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी रोहिणी, दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मौजूद थे।