दिल्ली उच्च न्यायालय ने बालीवुड फिल्म ग्रैन्ड मस्ती के टेलीविजन प्रीमियर पर आज रोक लगा दी और कहा कि फिल्म को असीमित लोक प्रदर्शन के लिए सत्यापित नहीं किया गया था और इसका केबल नेटवर्क नियमन कानून के तहत प्रसारण नहीं हो सकता। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी रोहिणी और न्यायमूति जयंत नाथ की पीठ का प्रथम दृष्टया विचार था कि जिस किसी फिल्म को यू/ए या ए प्रमाणपत्र मिलता है, जो असीमित प्रदर्शन के लिए योग्य नहीं हैं, उनका टेलीविजन पर प्रसारण नहीं किया जा सकता।
अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में सरकार की दलील को खारिज कर दिया कि ऐसी फिल्मों का प्रसारण शुरू होने पहले यह चेतावनी दिखायी जाती है कि यह फिल्म बच्चों या नाबालिगों के योग्य नहीं है, ऐसे में अभिभावक चैनल बदल सकते हैं। पीठ ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि बच्चे जब भी टीवी देख रहे हों, अभिभावकों की उन पर नजर हो। अंतरिम आदेश जारी करते हुए अदालत ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को नोटिस भी जारी किया तथा फिल्म को दिए गए यू/ए प्रमाणपत्र को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर उनसे 16 सितंबर तक जवाब देने को कहा।
यह याचिका ई गोपी चंद द्वारा वकील गौरव बंसल के जरिये दाखिल की गई थी। इसमें फिल्म के प्रसारण पर रोक लगाए जाने की मांग करते हुए कहा गया है कि इसमें दि्अर्थी संवाद भरे हुए हैं और इसकी सामग्री आपत्तिजनक है। फिल्म का प्रसारण कल होने वाला था। याचिका में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा अनियमित पुनः प्रमाणन की विस्तृत जांच के लिए मंत्रालय को निर्देश दिए जाने का अनुरोध भी किया गया है। ग्रैंड मस्ती को मस्ती-2 भी कहा जाता है और यह वयस्क कामेडी है। इसके निर्माता अशोक ठाकरिया तथा निर्देशक इंद्र कुमार हैं।