ग्रीनपीस ने आरोप लगाया कि इस प्रकार स्वतंत्र अभिव्यक्ति को दबाने का सरकार का बेहूदा तरीका राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शर्मिंदगी में बदल रहा है। एनजीओ ने कहा कि उसका पंजीकरण रद्द करने का नया नोटिस अलग नजरिये के प्रति सरकार की गहरी असहिष्णुता का विस्तार है। हालांकि ग्रीनपीस ने कहा है कि वह कानूनी तौर पर निराकरण करने की मांग करेगी।
ग्रीनपीस इंडिया की ओर से जारी वक्तव्य के मुताबिक, उसे तमिलनाडु के रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज से अभी-अभी नोटिस मिला है। जिसमें ग्रीनपीस के एक सोसाइटी के तौर पर पंजीकरण को रद्द करने की जानकारी दी गई है। जहां संयुक्त राष्ट्र महासचिव समेत कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने हाल में स्वस्थ लोकतंत्र में सिविल सोसाइटी के महत्व को बरकरार रखा है, वहीं यह नोटिस भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ताजा हमला है। ग्रीनपीस इंडिया की अंतरिम कार्यकारी निदेशक विनुता गोपाल ने कहा, तमिलनाडु का रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज साफ तौर पर गृह मंत्रालय के तहत कार्य कर रही है, जो ग्रीनपीस इंडिया को एक साल से अधिक समय से बंद करने का प्रयास कर रहा है। पिछले 18 महीने से विभिन्न सरकारी प्राधिकारों के जरिए ग्रीनपीस इंडिया की आवाज को दबाने का बार-बार प्रयास किया गया है।