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357 साल पहले बनी थी ज्ञानवापी मस्जिद , औरंगजेब से नाता, 1991 से चल रहा है मुकदमा

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू...
357 साल पहले बनी थी ज्ञानवापी मस्जिद , औरंगजेब से नाता, 1991 से चल रहा है मुकदमा

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है। यहां दावा किया जाता है कि यह मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। जिसे लेकर गुरुवार को वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस विवादित परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के आदेश जारी किए हैं। 

ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया जाता है कि इस ढ़ाचे के नीचे 100 फीट ऊंची विशेश्वर का स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग स्थापित है। 

2,050 साल पुराना मंदिर होने का दावा

याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2,050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था, मगर मुगल सम्राट औरंगजेब ने सन 1664 में मंदिर को नष्ट कर दिया था। दावा किया गया कि इसके अवशेषों का उपयोग मस्जिद बनाने के लिए किया था जिसे मंदिर भूमि पर निर्मित ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मंदिर की जमीन से मस्जिद को हटाने का निर्देश जारी करने और मंदिर ट्रस्ट को अपना कब्जा वापस देने का अनुरोध किया था।

357 साल पहले बनी थी ज्ञानवापी मस्जिद

बताया जाता है औरंगजेब ने 1664 में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ कर उसके अवशेषों का उपयोग कर इस मस्जिद का निर्माण कराया था। इस मंदिर की भूमि के दूसरे हिस्से को ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।

1991 से चल रहा है मुकदमा

काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस का 1991 में वाराणसी कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया गया था। इस याचिका के जरिए ज्ञानवापी में पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू भगवान विशेश्वर की ओर से सोमनाथ व्यास,रामरंग शर्मा और हरिहर पांडेय बतौर वादी इसमें शामिल हैं। मुकदमा दाखिल होने के कुछ दिनों बाद ही मस्जिद कमिटी ने केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए प्लेसेज ऑफ वर्शिप ऐक्ट, 1991 का हवाला देकर हाईकोर्ट में चुनौती दी। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1993 में स्टे लगाकर यथास्थिति कायम रखने का आदेश जारी किया था।

 2019 में की गई थी मामले की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद स्टे ऑर्डर की वैधता पर 2019 को वाराणसी कोर्ट में फिर से सुनवाई की गई थी। कई तारीख मिलने के बाद आखिरकार गुरुवार को वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद की पुरातात्विक सर्वेश्रण की मंजूरी दी गई।

हाईकोर्ट में दी जाएगी चुनौती

ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण की याचिका पर सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में बीते 2 अप्रैल को बहस पूरी हुई थी। जिसके बाद कोर्ट ने सभी पक्षों की दलील सुन कर फैलसा सुरक्षित रख लिया था। अब कोर्ट ने केंद्र सरकार और उत्तर सरकार को पत्र के जरिए इस मामले में पुरातत्व विभाग की पांच सदस्यीय टीम बनाकर पूरे परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है। सुन्‍नी सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड के अधिवक्‍ता अभय नाथ यादव ने कहा कि वह फैसले से संतुष्‍ट नहीं हैं और इसे हाइकोर्ट में चुनौती देंगे।

 

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