हाईकोर्ट ने इससे पहले 12 जून को संजय दत्त को जल्द रिहा करने के लिए सरकार से जबाव मांगा था। कोर्ट ने कहा था कि सरकार अपने फैसले की सफाई दे कि आखिर संजय दत्त को आठ महीने पहले जेल से कैसे रिहा कर दिया गया जबकि वे ज्यादातर वक्त पैरोल पर बाहर ही थे। हाईकोर्ट ने यह आदेश सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप भालेकर की पीआईएल पर दिया है। प्रदीप ने संजय दत्त की रिहाई को चुनौती देते हुए कहा था कि उनको जेल में रहते हुए पैरोल मिलते रहे थे। आखिर यह पैरोल किस वजह से मिले।
कोर्ट ने याचिका पर गंभीरता दिखाते हुए कहा कि जेल के अफसरों ने यह कैसे तय कर लिया कि संजय दत्त का व्यवहार अच्छा था। यह आकलन करने का उन्हें समय कब मिला जबकि आधे समय तो संजय दत्त पैरोल पर जेल से बाहर रहते थे। कोर्ट ने कहा कि संजय दत्त की रिहाई के लिए जो प्रक्रिया अपनाई गई तो क्या वह आम कैदियोंके साथ भी अपनाई जाती है। सबसे पहले संजय दत्त को 1993 बम धमाकों के मामले में पांच साल की जेल हुई थी उन्हें एके-56 राइफल रखने के लिए शस्त्र कानून के तहत दोषी पाया गया था। उन्होंने अपनीसजा यरवदा जेल में काटी जहां फरवरी 2016 में अच्छे व्यवहार के कारण रिहा कर दिया गया।
जस्टिस आर एम सावंत और साधना जाधव की पीठ ने सरकार से इस बारे में हलफनामे की मांग की है। इसमें पूछा गया है कि संजय दत्त को रिहा करने से पहले कौन से प्रक्रिया और पैरामीटर फालो किया गया। इसकी पूरी जानकारी दी जाए। पीठ ने सवाल किया, क्या पुलिस इंस्पेक्टर जनरल (जेल) से सलाह ली गई थी या जेल अधीक्षक ने सीधे गवर्नर को सुझाव भेज दिए थे। तब कैसे अच्छे व्यवहार का फैसला लिया गया।
कब कब मिला पैरोल
अक्टूबर 2013 को संजय दत्त को पैरोल मिला था। उसे 14 दिन और बढ़ा दिया गया था। दिसंबर 2103 में 30 दिन का पैराल मिला था जिसे दो बार बढ़ाया गया। संजय की बहन इसके लिए गारंटर थी। जब से सजा शुरू हुई थी तब से उन्होंने जेल से बाहर 146 दिन बिताए थे।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    