उसकी रिहाई के खिलाफ लोगों का आक्रोश खारिज करते हुए उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने किशोर न्याय बोर्ड को उसके पुनर्वास एवं सामाजिक मुख्यधारा में लाने के संबंध में दोषी, उसके माता-पिता और महिला एवं बाल विकास विभाग के संबंधित अधिकारियों से बात करने का निर्देश दिया है।
पीठ ने कहा कि भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी का किशोर की रिहाई पर रोक लगाने का अनुरोध स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि वैधानिक और वर्तमान कानून इसकी राह में आड़े आ रहे हैं। पीठ ने दोषी की रिहाई की अनुमति देते हुए कहा कि इस तथ्य को देखते हुए कि किशोर न्याय अधिनियम की धारा 15 (1) के तहत विशेष गृह में अधिकतम तीन साल के लिए रोकने का निर्देश दिया जा सकता है और दोषी 20 दिसंबर 2015 को तीन साल की अवधि पूरी कर लेगा, 20 दिसंबर के बाद विशेष गृह में उसे रोकने का निर्देश नहीं दिया जा सकता। इसलिए हम याचिकाकर्ता की प्रार्थना के अनुसार कोई निर्देश देने से इंकार करते हैं।
पीड़ित के परिजनों ने त्वरित प्रतिक्रिया में कहा, जुर्म जीत गया, हम हार गए। पीड़ित की मां आशा देवी ने संवाददाताओं से कहा, तीन साल तक हमारे इतने प्रयासों के बावजूद, हमारी सरकार और हमारी अदालतों ने एक अपराधी को रिहा कर दिया। हमें यह आश्वासन दिया गया था कि हमें न्याय मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हम बहुत निराश हैं। उन्हांेने कहा, हमने उसे कभी नहीं देखा है, न कभी मिले हैं लेकिन हमारे सभी प्रयासों के बावजूद अपराधी रिहा हो जाएगा।
इस किशोर सहित छह लोगों ने 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की लड़की पर हमला और उसका बलात्कार किया था। पीड़ित का 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था। मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को निचली अदालत ने सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले मेमं मौत की सजा सुनाई थी जिसकी दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुष्टि की थी। उनकी अपील उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं। आरोपी राम सिंह ने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में कथित रूप से खुदकुशी कर ली थी और उसकी मौत के बाद उसके खिलाफ कार्यवाही बंद हो गई थी।