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हिन्दी आम आदमी की भाषा, उच्च शिक्षा में बढ़ावा दें: सुभाष चंद्रा

राज्यसभा सांसद सुभाष चंद्रा का कहना है कि कोई भी भाषा हिन्दी का स्थान नहीं ले सकती क्योंकि यह आम आदमी की भाषा है। ऐसे में हिन्दी को उच्च शिक्षा में शिक्षा का माध्यम (एमओआई) बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए। चंद्रा ने यह बातें साहित्य अकादमी द्वारा हिन्दी दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहीं।
हिन्दी आम आदमी की भाषा, उच्च शिक्षा में बढ़ावा दें: सुभाष चंद्रा

उच्च शिक्षा में हिन्दी को शिक्षा का माध्यम बनाए जाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए सांसद सुभाष चंद्रा ने कहा, अंग्रेजी हिन्दी का स्थान नहीं ले सकती क्योंकि यह इस देश में संवाद की भाषा है। आम आदमी की भाषा हिन्दी है और यह हमेशा ऐसी रहेगी। हिन्दी दिवस के अवसर पर साहित्य अकादमी द्वारा ‘हिन्दी की वर्तमान स्थिति: चुनौतियां और समाधान’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में बुधवार की शाम राज्यसभा सांसद ने शिरकत करते हुए यह बात कही। कार्यक्रम में नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी और हिन्दी के जाने-माने कवि अशोक चक्रधर भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कैलाश सत्यार्थी ने कई भाषाओं में लोगों की सीखने की रूचि की सराहना की। उन्होंने कहा कि हिन्दी और अंग्रेजी की तुलना करना गलत है और किसी की मातृभाषा में बात करने की क्षमता को हेय दृष्टि से नहीं बल्कि गर्व करने के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, एक व्यक्ति की मातृभाषा सबसे अधिक सम्मानीय है और कोई अन्य भाषा इसका स्थान नहीं ले सकती। हिन्दी और अंग्रेजी अलग-अलग भाषाएं है जिनकी एक-दूसरे से कोई स्पर्धा नहीं है।

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